नई दिल्ली: केंद्र ने गुरुवार (10 अगस्त) को राज्यसभा में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन से संबंधित एक बिल पेश किया था. इल बिल को लेकर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सरकार पर निशाना साधा है.
ममता बनर्जी ने शनिवार (12 अगस्त) को इस बिल के विरोध में कहा, “बीजेपी अराजकता के आगे झुक गई है. इस हफ्ते सीईसी की नियुक्ति के लिए 3 सदस्यीय पैनल में सीजेआई (CJI) की भूमिका महत्वपूर्ण है. हम चुनाव आयुक्त के चयन में सीजेआई की जगह कैबिनेट मंत्री को लाने का कड़ा विरोध करते हैं.”
ममता बनर्जी का बीजेपी पर कटाक्ष
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि सीजेआई को नियुक्ति पैनल से बाहर करने की योजना बीजेपी की बेचैनी को दर्शाती है, जो बताती है कि उनके वोट हेरफेर को नुकसान हो सकता है. भारत को न्यायपालिका के प्रति इस घोर उपेक्षा पर सवाल उठाना चाहिए. हम भारत के लिए न्यायपालिका से अपील करते हैं. माई लॉर्ड हमारे देश को बचाइए.”
बिल में क्या हैं प्रावधान?
इस विधेयक में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए पैनल में भारत के चीफ जस्टिस की जगह एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान है, जिससे पोल पैनल के सदस्यों की नियुक्तियों में सरकार को अधिक नियंत्रण प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी. राज्यसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया था.
बिल के विरोध में कई विपक्षी दल
कई विपक्षी दल केंद्र के इस बिल के विरोध में हैं. कांग्रेस, तृणमूल, ‘आप’ और वाम दलों सहित अन्य विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. बिल पेश करने के दौरान भी विपक्ष की तरफ से काफी हंगामा किया गया था. विपक्ष ने बीजेपी पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश को कमजोर करने और पलटने का आरोप लगाया है.
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