मुंबई: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने राष्ट्रगान के कथित अपमान के मामले में राहत देने से इनकार कर दिया है. दरअसल ममता बनर्जी ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का अनुरोध करने वाली अर्जी पर पुनर्विचार को हाईकोर्ट में चुनौती थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में बनर्जी ने कहा था कि विशेष अदालत को समन को हमेशा के लिए रद्द कर देना चाहिए था, ना कि मामले को वापस मजिस्ट्रेट के पास भेजना चाहिए था. हालांकि हाईकोर्ट ने उन्हें इस मामले में कोई राहत न देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी.
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने बीजेपी के एक स्थानीय पदाधिकारी विवेकानंद गुप्ता की शिकायत पर मार्च 2022 में बनर्जी को समन जारी किया था. गुप्ता ने अपनी शिकायत में दावा किया कि दिसंबर, 2021 में यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम में एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रगान बजने पर भी बनर्जी बैठी रहीं, फिर बीच में अचानक खड़ी हुईं और दो पंक्तियां गाने के बाद अचानक चुप हो गईं, फिर वहां से चली गईं.
गुप्ता की शिकायत में दावा किया गया है कि ममता बनर्जी के इस कदम में राष्ट्रगान का अपमान और अनादर हुआ है, जो राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम, 1971 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. उन्होंने इस संबंध में पहले कफ परेड थाने में शिकायत की थी, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने मजिस्ट्रेट से गुहार लगाई.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ जारी समन को विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट में चुनौती दी थी. जनवरी, 2023 में विशेष न्यायाधीश आरएन रोकाड़े ने प्रक्रियागत आधार पर समन को दरकिनार कर दिया और मजिस्ट्रेट से गुप्ता की शिकायत पर नए सिरे से विचार करने को कहा था.
इसके बाद सेवरी मजिस्ट्रेट की अदालत ने ममता बनर्जी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी. बनर्जी ने मजिस्ट्रेट पीआई मोकाशी के समक्ष अपने वकील मजीद मेमन के माध्यम से एक आवेदन दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इसलिए कार्यवाही रोक दी जानी चाहिए.
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