UP Elections: दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले सप्ताह में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) को लेकर अपने पत्ते खोल सकती हैं। तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) में शामिल होने के बाद ललितेश पति त्रिपाठी (Lalitesh Pati Tripathi) को भी बड़ी जिम्मेदारी दी जानी है।
ललितेश की टीम चार-पांच विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के बारे में गंभीरता से काम भी कर रही है। पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) की सक्रियता जिस तरह अपने राज्य से बाहर तेजी से बढ़ी है, उससे कई तरह के सियासी समीकरण बनने बिगड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं.
दिल्ली (Delhi) के बाद ममता महाराष्ट्र (Maharashtra) गईं और अब उनकी नजर उत्तर प्रदेश चुनाव (Uttar Pradesh Elections) में अपनी पार्टी को पहचान दिलाने की तरफ है। कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में आए ललितेश पति त्रिपाठी इसके लिए पूरी तैयारी कर रहे हैं। बेशक अभी उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस कहीं नहीं है, लेकिन जो भी थोड़ी बहुत ताकत उसे वहां नजर आ रही है, उसका विस्तार करने का ये मौका वह चूकना नहीं चाहती.
समझा जा रहा है कि ममता बनर्जी प्रदेश में समाजवादी पार्टी और उसके नेता अखिलेश यादव को बिना शर्त अपना समर्थन देकर, उनसे तृणमूल के उम्मीदवारों के कुछ सीटें छोड़ने की मांग कर सकती हैं. इससे पहले बिहार से बाहर निकलकर अपना जनाधार बढ़ाने में लगा राष्ट्रीय जनता दल भी समाजवादी पार्टी को अपना समर्थन देने का एलान कर चुका है।
भाजपा को रोकने के लिए हम सपा के साथ हैं
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मंत्रिमंडल (cabinet) के सदस्य का कहना है कि उनकी पार्टी ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के विजय अभियान को रोका है। तृममूल कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भी भाजपा को झटका देगी। इसके लिए वहां के सबसे बड़े विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को हम समर्थन दे सकते हैं। हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा या इस बारे में कोई भी निर्णय हमारी नेता ममता बनर्जी को करना है। मुझे लग रहा है कि इस महीने के अंत तक इस बारे में वह कोई घोषणा कर सकती हैं।
सोनिया से की मुलाकात और राहुल को निशाना बनाया
तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जब दिल्ली दौरे पर आती हैं, तो वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress President Sonia Gandhi) से भी मिलने की कोशिश जरूर करती हैं। नवंबर में भी जब वह दिल्ली आई थीं तो सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा था। बताते हैं सोनिया गांधी से उनकी भेंट हुई और इस दौरान कुछ समय के लिए राहुल गांधी भी वहां बैठे थे। बाद में 30 नवंबर को ममता बनर्जी जब महाराष्ट्र गईं, तो परोक्ष रूप से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर हमला बोल दिया। ममता बनर्जी के बाद उनके राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने भी ट्विटर पर मोर्चा खोल दिया था। कांग्रेस को ममता बनर्जी का यह राजनीतिक प्रयोग जरा कम समझ में आ रहा है.
केंद्र सरकार के एक पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना है कि लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) पार्टी के नेता हैं। चौधरी और ममता के समीकरण ठीक नहीं माने जाते हैं, लेकिन राहुल गांधी से अधीर रंजन चौधरी की केमिस्ट्री ठीक है। इसलिए हो सकता है कि ममता बनर्जी को राहुल और अधीर की नजदीकी अच्छी न लगती हो। लेकिन सोनिया गांधी का वह आदर करती हैं। उनका कहना है कि राजनीति में यह सब चलता है।
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