जयपुर । एआईसीसी पर्यवेक्षक (AICC Supervisors) मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन (Mallikarjun Khadge and Ajay Makan) सोमवार को दिल्ली पहुंच गए हैं (Have Reached Delhi) और आलाकमान को रिपोर्ट सौंपेंगे (Will Submit Report to High Command) । अब इस पर अगला कदम आलाकमान से चर्चा के बाद तय होगा। फिलहाल असंतुष्ट विधायक इस बात पर अड़े हैं कि वे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में नहीं स्वीकार करेंगे।
राजस्थान में सीएम पद पर सचिन पायलट की संभावित ताजपोशी को लेकर पार्टी विधायकों और मंत्रियों का असंतोष खुलकर सामने आ गया है। हालत यह हो गई है कि हाईकमान से भेजे गए केंद्रीय पर्यवेक्षकों वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से असंतुष्ट विधायक मिलने तक नहीं गए। दोनों नेताओं ने विधायकों से अपनी बात एक-एक कर रखने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उसके बाद भी वे राजी नहीं हुए। इससे कोई फैसला नहीं हो सका।
जयपुर में पार्टी के घटनाक्रम से सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सत्ता के लिए संघर्ष और तेज होने के आसार बढ़ गये हैं। गहलोत समर्थक विधायकों के समूह ने पहले मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बैठक की थी। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को पार्टी विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष के घर जाने के फैसले को बगावत के रूप में नहीं देखना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इसे आलाकमान के खिलाफ बगावत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हम आलाकमान के लिए अपनी जान दे सकते हैं। यह हमारे कांग्रेस परिवार के बारे में है।” गहलोत के उत्तराधिकारी पर खाचरियावास ने कहा कि अभी गहलोत ही मुख्यमंत्री हैं।” खाचरियावास ने भाजपा पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को अस्थिर करने की कोशिश का भी आरोप लगाया।
इससे पहले राजस्थान में तेजी से बढ़ते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच, खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने रविवार को कहा कि लोकतंत्र संख्या पर चलता है और जिसके पास विधायकों का समर्थन होगा वह राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस विधायकों के विधानसभा अध्यक्ष के घर पहुंचने को पार्टी आलाकमान की बगावत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।
राजस्थान विधानसभा उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने कहा, “यह सरकार आंतरिक विवाद में फंसी है, जो अब भी जारी है। पहली बार, विधायकों ने अपने आलाकमान की अवहेलना की है … सीएम को विधानसभा भंग करने के लिए एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलानी चाहिए। भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”
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