बमाको (Bamako)। माली (Mali Attack) के एक सैन्य ठिकाने (Military bases) और एक यात्री नाव (passenger boat) पर आतंकियों ने हमला (Terrorist attack) कर दिया। उत्तरी माली में हुए हमले में 64 लोगों की मौत (64 people died) हो गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, माली सरकार का कहना है कि आतंकियों ने अलग-अलग दो जगह हमला किया। पहला हमला आतंकियों ने नाइजर नदी (Niger River) पर टिम्बकटू नाव पर किया तो वहीं, दूसरा हमला आतंकियों ने बंबा के एक सैन्य ठिकाने पर किया। दोनों हमलों में कुल 49 आम नागरिक और 15 सैनिकों की जान चली गई। दावा किया जा रहा है कि आतंकी संगठन अल-कायदा (Terrorist organization Al-Qaeda) से जुड़े एक संगठन ने इस हमले को अंजाम दिया है।
दो अलग-अलग आतंकी हमलों में 64 मौतें
वहीं इन हमलों की जिम्मेदारी अल-कायदा से जुड़े एक संगठन ने ली है. इससे पहले माली की सेना ने सोशल मीडिया पर कहा था कि हथियारों से लैस आतंकवादी समूहों ने नाव पर लगभग 1100 GMT पर हमला किया. वहीं ऑपरेटर कोमानव ने अलग से कहा कि नदी के किनारे बसे शहरों के बीच एक रास्ते पर जा रहे जहाज पर करीब रॉकेट ने निशाना बनाया. उन्होंने जहाज के इंजन को टारगेट किया था।
कोमानव के एक अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा कि जहाज नदी पर मौजूद है। सेना वहां से यात्रियों को बाहर निकाल रही है. सरकारी सूत्रों की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक आतंकी हमलों में करीब 15 सैनिक मारे गए हैं वहीं कुल 64 लोगों की जान गई है. आतंकी हमले में माली का बड़ा नुकसान हुआ है. हमले में हुई मौतों के बाद माली में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया गया है।
नाइजर इलाके को आतंकियों ने बनाया निशाना
सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में नदी के ऊपर काले धुएं का गुबार उठता दिख रहा है. घटना एक दूरदराज के इलाके में हुई. हालांकि फोटोज की पुष्टि नहीं की गई है. नाइजर उस इलाके में बहुत ही अहम ट्रांसपोर्ट लिंक है, जहां पर सड़क और बुनियादी ढांचा बहुत खराब है और ट्रेन सुविधा भी नहीं है. माली में यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब पिछले महीने अल-कायदा से जुड़े गठबंधन, सपोर्ट ग्रुप फॉर इस्लाम एंड मुस्लिम्स (जीएसआईएम) ने ऐलान किया था कि वह उत्तरी माली के ऐतिहासिक चौराहे वाले शहर टिम्बकटू में अवरोध पैदा कर रहा है।
बता दें कि गरीब देश माली साल 2012 से असुरक्षा से जूझ रहा है. उस समय अशांत उत्तर में जातीय तुआरेग्स के नेतृत्व में विद्रोह भड़क उठा था. जिहादियों ने विद्रोहियों को भड़काने का काम किया था. आतंकवादियों ने साहेल और तटीय और पश्चिम अफ्रीकी देशों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साहेल में अब तक बड़ी संख्या में लोगों को आतंकी अपना शिकार बना चुके हैं वहीं हजारों लोग दूसरी जगहों पर जाने को मजबूर हो गए हैं।
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