नई दिल्ली। मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohamed Muizzu), 6 से 10 अक्टूबर तक भारत (India) के स्टेट पर होंगे. चार महीनों में नई दिल्ली (New Delhi) की यह उनकी दूसरी यात्रा होगी. मुइज्जू की यह भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा (First bilateral visit) होगी. इससे पहले वे जून 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए नई दिल्ली आए थे. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अपनी यात्रा के दौरान मुइज्जू, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) से मुलाकात करेंगे और पीएम मोदी के साथ आपसी हितों के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और इंटरनेशनल मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
बयान में कहा गया है कि मुइज्जू, मुंबई और बेंगलुरु भी जाएंगे, जहां वे बिजनेस इवेंट्स में शामिल होंगे. मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत का प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और प्रधानमंत्री के ‘SAGAR’ (Security and Growth for All in the Region) और भारत की ‘Neighbourhood First Policy’ के नजरिए में एक विशेष स्थान रखता है.”
चीन समर्थक नेता के रूप में देखे जाने वाले मुइज्जू के आइसलैंड नेशन की कमान संभालने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए. मुइज्जू अपने ‘इंडिया आउट’ अभियान के बाद सत्ता में आए, जहां उन्होंने मालदीव से भारतीय सैनिकों और सहायक कर्मचारियों की वापसी की मांग की।
इसके कुछ वक्त बाद ही, मुइज्जू कैबिनेट के कुछ मंत्रियों द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के बाद कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया, क्योंकि मोदी ने अपने सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप का प्रचार करते हुए कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं. उन मंत्रियों को कैबिनेट से हटा दिया गया, मालदीव में पर्यटन को झटका लगा और भारत से पर्यटकों की संख्या में कमी आई।
हालांकि, मालदीव द्वारा अपने आर्थिक विकास, सुरक्षा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने के बाद दोनों पक्षों ने तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने की कोशिश की. इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के बाद अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए मुइज्जू को नई दिल्ली बुलाया था।
पिछले दिनों अगस्त महीने में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव का दौरा किया, जिसे माले ने द्विपक्षीय संबंधों में ‘मील का पत्थर’ बताया।
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