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    पुराने दिन भूल गए मालदीव के राष्ट्रपति, जब भारतीय सैनिकों ने रोका था तख्तापलट

  • October 04, 2023

    नई दिल्ली: मालदीप के नए नवेले राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुइज का भारतीय सेना को लेकर दिया गया एक बयान चर्चा में है. उन्होंने भारतीय सेना को मालदीव से बाहर करने का संकल्प लिया है. चीन का समर्थन करने वाले मोहम्मद मुइज ने चुनाव जीतने के बाद अपने समर्थकों से कहा है कि हम अब किसी भी कीमत पर मालदीव में विदेशी सेना को बर्दाश्त नहीं करेंगे.

    लेकिन मोहम्मद मुइज शायद पुराने दिन भूल गए हैं, जब ऑपरेशन कैक्टस चलाकर भारतीय सेना ने मालदीव में तख्तापलट को असफल कर दिया था. मोहम्मद मुइज़ ने अपनी चुनावी जीत के जश्न में इकट्ठा हुए अपने समर्थकों से कहा कि मैं मालदीव में नागरिकों की इच्छा के खिलाफ विदेशी सेना के रहने के पक्ष में खड़ा नहीं होऊंगा. लोगों ने मुझे बताया है कि वह यहां विदेशी सेना को देखना नहीं चाहते. हम मालदीव से भारतीय सेना को बाहर निकालने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेंगे.

    क्या था ऑपरेशन कैक्टस?
    दरअसल तीन नवंबर 1988 को मालदीव में तख्तापलट की कोशिश हुई थी. तख्तापलट की ये कोशिश श्रीलंका के तमिल विद्रोही संगठन पीपल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) के नेता माहेश्वरन और कारोबारी अब्दुल्लाह लथुफी ने की थी. इन हथियारबंद उग्रवादियों ने तीन नवंबर को राजधानी माले पर हमला बोल दिया. इसके बाद राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम छिप गए. उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और भारत से मदद मांगी. लेकिन अमेरिका-ब्रिटेन ने मदद पहुंचाने से इनकार कर दिया. लेकिन भारत ने तुरंत हां कर दी.


    उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे. पीएम राजीव ने तुरंत इमरजेंसी बैठक बुलाई और सेना को मालदीव भेजने का फैसला किया. सेना की दो टुकड़ी मालदीव पहुंची. एक टुकड़ी राष्ट्रपति गयूम की तलाश में निकल पड़ी और दूसरी टुकड़ी उग्रवादियों से भिड़ने पहुंच गई. आधी रात के वक्त भारतीय सेना से उग्रवादियों को सामना हुआ, जहां सैनिकों ने उनको खदेड़ दिया. अच्छी बात यह थी कि इसी दौरान दूसरी टीम राष्ट्रपति के पास पहुंच गई थी. इसकी जानकारी तुरंत राजीव गांधी को दे दी गई.

    उग्रवादियों ने बंधक बनाया जहाज
    हालांकि उग्रवादी नहीं रुके और उन्होंने सुबह एमवी प्रोग्रेस लाइट नाम के एक जहाज को बंधक बना लिया, जिस पर आम नागरिकों के अलावा मालदीव के मंत्री और उनकी पत्नी मौजूद थीं. उग्रवादियों ने इसी जहाज से भागने का प्लान भी बनाया. बाद में उग्रवादियों और श्रीलंका सरकार के बीच बातचीत में जहाज को श्रीलंका के तट पर लाने की सहमति बनी. एक रिपोर्ट के मुताबिक कहा जाता है कि श्रीलंका इस जहाज को डुबा देना चाहता था. इसको लेकर भारतीय सरकार चिंतित थी, क्योंकि जहाज पर मौजूद आम नागरिक मारे जाते.

    भारतीय सेना ने फिर से दिलाई राष्ट्रपति को सत्ता
    कहा जाता है कि भारत के आईएनएस गोदावरी और आईएनएस बेतवा इस जहाज का पीछा कर रहे थे. 7 नवंबर को भारतीय सेना ने जहाज पर हमला बोल दिया, जिसमें कई उग्रवादी मारे गए. हालांकि हमले में कुछ क्रू मेंबर्स की भी जान चली गई थी. हमले के बाद जहाज क्षतिग्रस्त हो गया, जिसे डुबा दिया गया. इस ऑपरेशन के बाद मालदीव एक बार फिर पूरी तरह सुरक्षित हो गया. इस तरह भारतीय सेना ने राष्ट्रपति को फिर से सत्ता हासिल करने में मदद की और ऑपरेशन कैक्टस खत्म हुआ.

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