नई दिल्ली (New Delhi)। विस्तारवाद चीन समर्थक (expansionism pro china) कहे जाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohammed Muizzu) पहले भारत दौरे की सालों पुरानी परंपरा तोड़ने की तैयारी में हैं। खबर है कि वह जल्द ही चीन की यात्रा कर सकते हैं। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। खास बात है कि अगर ऐसा होता है, तो यह पहली बार होगा जब मालदीव का लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति भारत से पहले चीन का दौरा करेंगे।
अब मुइज्जू के पहले तुर्की जाने को एक संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसके जरिए मालदीव के राष्ट्रपति दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका देश भारत या चीन पर निर्भर नहीं है। खबरें ये भी हैं कि चीन ने मुइज्जू को न्योता भेजा है। वहीं, अब तक साफ नहीं है कि भारत की तरफ से न्योता गया है या नहीं।
मुइज्जू के चीन दौरे की चर्चाएं ऐसे समय पर आईं हैं, जब वह लगातार भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर करने पर जोर लगा रहे हैं। COP28 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मुइज्जू ने कहा था कि भारत सैनिकों को वापस बुलाने के लिए तैयार हो गया है। हाल ही में मालदीव की तरफ से एक ऐलान और किया गया है कि वह भारत के साथ समझौता खत्म कर रहा है, जिसके तहत भारतीय नौसेना को मालदीव के जल क्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वे करने की अनुमति थी।
इससे पहले मालदीव के तत्कालीन राष्ट्रपति यामीन चीन गए थे। खास बात है कि उस दौरान दोनों देशों के बीच एक गुप्त समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। साथ ही एक डील हुई थी, जिसमें चीन को एक ऑब्जर्वेटरी बनाने की अनुमति दी गई थी।
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