माले (Male)। मालदीव (Maldives) के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohammed Muizzu) के चीन प्रेम (China love) के चलते द्विपक्षीय संबंधों में तनाव (Tension in bilateral relations) के बावजूद भारत (India) की तरफ से मालदीव में जारी निर्माण परियोजनाओं में तेजी आई है। मालदीव के एक अधिकारी ने पहचान छिपाए रखने की शर्त पर कहा कि मालदीव की सरकार और नेताओं ने जो कुछ भारत और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ किया है, वैसा चीन के साथ किया गया होता, तो चीन अब तक मालदीव को हर तरफ से घोंट चुका होता। लेकिन, भारत दरियादिली (Generosity) दिखाते हुए परियोजनाओं को तेजी से पूरा कर रहा है।
इस वर्ष भारत ने पहले से तय 400 करोड़ की बजटीय सहायता को बढ़ाकर 700 करोड़ कर दिया है। भारतीय अधिकारियों का इस बारे में कहना है कि उनकी सरकार मालदीव के कुछ नेताओं की हरकतों के चलते वहां के लाखों लोगों के लिए विकसित की जा रही सुविधाओं को नहीं रोकना चाहती क्योंकि, इसमें लोगों का कोई दोष नहीं है।
मुइज्जू ने भारत विरोध को बनाया था मुद्दा
मुइज्जू ने अपने चुनावी अभियान में भारत के विरोध को प्रमुख मुद्दा बनाया था। खासतौर पर मालदीव के तटों पर निगरानी के लिए लगाए रडार और गश्ती स्टेशनों पर तैनात 80 भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर मुइज्जू लगातार भारत के खिलाफ तीखे बयान दे रहे हैं। हालांकि, भारत ने अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुलाने की मांग मान ली है। भारत इन सैनिकों की जगह वहां अब तकनीकी स्टाफ भेजेगा। मुइज्जू के रवैये पर मालदीव की जनता व विपक्ष ने खासी नाराजगी जताई है।
सड़कों और हवाईअड्डों का निर्माण
भारत की ओर से कर्ज के तौर पर दी गई रकम में 50 करोड़ डॉलर की परियोजनाओं में माले के आसपास की सड़कें और पुलों का निर्माण होना है। साथ ही मालदीव के सुदूर द्वीपों में 13 -13 करोड़ डॉलर में दो एयरपोर्ट बनने हैं। दोनों देशों के बीच तनाव उस समय ज्यादा बढ़ गया था, जब मुइज्जू मंत्रिमंडल के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। हालांकि, इन मंत्रियों को तुरंत पद से हटा दिया गया था।
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