नई दिल्ली. मालदीव (maldives) में चीन (China) समर्थक राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohammad Muizzu) की नीतियों को अब वहां के लोगों का भारी समर्थन मिल गया है जिसका सबूत रविवार को हुए संसदीय (parliamentary) चुनाव ने दे दिया है. मालदीव की संसद मजलिस (Majlis) के चुनाव में मुइज्जू की जीत पर चीन ने बधाई दी और कहा कि मालदीव के लोगों ने जो फैसला लिया है, चीन उसका सम्मान करता है. अब चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने कहा है कि संसदीय चुनाव में मुइज्जू के पार्टी की प्रचंड जीत से चीन-मालदीव के रिश्तों में और स्थिरता आएगी.
मजलिस की 93 सीटों में से 90 सीटों के लिए चुनाव हुए थे जिसमें से 66 सीटों पर मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (PNC) को जीत मिली है. मुइज्जू भले ही पिछले साल राष्ट्रपति बन गए थे लेकिन वो अपनी नीतियों को आगे नहीं बढ़ा पा रहे थे. संसद में भारत समर्थक माने जाने वाले मोहम्मद सोलिह की पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के पास बहुमत था और ये पार्टी मुइज्जू सरकार के लाए विधेयकों को पास होने से रोक दे रही थी. लेकिन इस चुनाव में एमडीपी को महज 12 सीटों पर जीत मिली है. पीएनसी और सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 74 सीटों पर जीत के साथ मुइज्जू सरकार प्रचंड बहुमत में है जिसे लेकर चीन बेहद खुश है.
‘चुनाव के नतीजे बताते हैं कि…’
मुइज्जू की जीत पर चीन की तरफ से बयान सामने आने के बाद ग्लोबल टाइम्स ने अपने एक लेख में भारत का जिक्र कर लिखा है कि चुनाव के नतीजे बताते हैं कि मालदीव को भूराजनीतिक संघर्षों में फंसने के बजाए आर्थिक विकास पर ध्यान देने की अधिक जरूरत है. अखबार ने लिखा, ‘मालदीव के चुनाव ने पश्चिमी और भारतीय मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं. पिछले साल चुने गए मुइज्जू ने देश से इंडिया फर्स्ट की नीति को खत्म करने की कसम खाई थी जिससे भारत के साथ मालदीव के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे. भारतीय मीडिया ने लिखा कि संसदीय चुनाव को चीन के साथ गहरे आर्थिक और रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने और पारंपरिक सहयोगी भारत से अलग होने की मुइज्जू की नीति के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा के रूप में देखा गया.
मुइज्जू मानवीय कार्यों में मदद के लिए द्वीप देश पर मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस भेज रहे हैं. द्वीप देश में 80 से अधिक भारतीय सैनिक मौजूद थे जिनमें से सैनिकों के दो समूह भारत-मालदीव के बीच हुए समझौते के तहत भारत वापस आ चुके हैं और बाकी के सैनिक 10 मई तक वापस आ जाएंगे. ये सैनिक भारत की तरफ से मालदीव को मानवीय कामों के लिए दिए गए दो HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर और डॉर्नियर विमान का संचालन करते थे. अब सैनिकों की जगह भारत के टेक्निकल एक्सपर्ट्स इनकी देखरेख करेंगे.
चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्ट्रैटेजी के असिस्टेंट रिसर्च फेलो तियान गुआंगकियांग के हवाले से भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को लेकर ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, ‘मालदीव में भारत की सैन्य उपस्थिति देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता के लिए खतरा है… यह चुनाव राष्ट्रपति के विकास एजेंडे के लिए जनता के समर्थन को दिखाता है.’
‘भारत आत्मावलोकन करे…’
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि राष्ट्रपति मुइज्जू का रुख बिल्कुल स्पष्ट है- वो चीन और भारत, दोनों देशों के साथ अच्छे रिश्ते कायम रखना चाहते हैं. शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज में चीन-दक्षिण एशिया सहयोग रिसर्च सेंटर के महासचिव लियू जोंग्यी के हवाले से लेख में कहा गया, ‘मालदीव एक संतुलित नीति अपनाना चाहता है लेकिन भारत चाहता है कि मालदीव एक पक्ष चुने. भारत मुइज्जू और मालदीव के लोगों की इच्छा को भू-रणनीति और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के चश्मे से देख सकता है, मालदीव के लोग विकास पर फोकस करते हैं.’
चीनी अखबार के लेख में कहा गया कि भारत की कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि मालदीव भारत से दूर होता जा रहा है. अखबार ने आगे लिखा, ‘एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत को मालदीव के साथ खराब रिश्तों को लेकर अपने गिरेबान में भी झांककर देखने की जरूरत है. दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट की वजह भारत की लंबे समय से चली आ रही धारणा है कि मालदीव उसका प्रभाव क्षेत्र और कूटनीतिक रूप से पीछे चलने वाला देश है. भारत मालदीव के साथ हमेशा से संरक्षणवादी रवैया दिखाता रहा है.’
रिपोर्ट के अंत में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत के साथ मालदीव की भौगोलिक नजदीकी, व्यापार, संस्कृति, मानवीय संबंधों, ऐतिहासिक संबंधों को देखते हुए मालदीव सक्रिय रूप से भारत के साथ संबंधों को खराब करने की कोशिश नहीं करेगा.
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