माले। कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही मालदीव सरकार के सामने एक बड़ा संकट आ गया है। चीन के एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट (एक्जिम) बैंक ने राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सरकार से कहा है कि वह 10 मिलियन डॉलर की रकम चुकाए। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एन साहित्य मूर्ति के अनुसार, शायद यह रकम सन ग्रुप को दिए गए 127 मिलियन डॉलर के कर्ज की किश्त है जो ‘संप्रभु गांरटी’ के तहत दिया गया था। मालदीव की आर्थिक स्थिति पहले से खस्ता है। अगर वह कर्ज चुकाने से मना करता है तो उसकी साख पर बट्टा लगेगा। अगर चुकाता है तो उससे करेंसी की वैल्यू गिरेगी और फॉरेन ट्रेड पर असर पड़ेगा।
आमतौर पर ‘संप्रभु गारंटी’ सरकारों और सरकारी उपक्रमों को ही मिलती है। चीन ने ‘संप्रभु गांरटी’ के तहत कुल 9 बिलियन डॉलर के कर्ज बांट रखे हैं, उनमें से सन ग्रुप को छोड़कर बाकी सब सरकारी उपक्रम हैं। ‘संप्रभु गारंटी’ के तहत डिफॉल्ट पर राज्य/देश को कर्ज चुकता करना पड़ता है। अगर सोलिह की सरकार कर्ज चुकाने से मना करती है तो इससे ग्लोबल क्रेडिट मार्केट्स में मालदीव की साख पर असर पड़ सकता है।
चीन की तरफ से मालदीव को कुल कितना कर्ज दिया गया है, उसका कोई ऑफिशियल डेटा नहीं है। नवंबर 2018 में मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा था कि ‘मेरे पास जितनी जानकारी है, अकेले चीन का कर्ज 3 बिलियन डॉलर है।” मालदीव साल में 1 बिलियन डॉलर से भी कम टैक्स कलेक्ट करता है। इसी साल वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि चीन ने मालदीव के लिए कर्ज की किश्त कम कर दी है। मालदीव पर टोटल कर्ज का करीब 45 फीसदी चीन का ही है।
वर्ल्ड बैंक की जून में आई रिपोर्ट के अनुसार, कम आय वाले 68 में से 49 देशों को सबसे ज्यादा कर्ज चीन ने दे रखा है। 2018 के आंकड़ों तक उनकी चीन के प्रति कुल 102 बिलियन डॉलर की देनदारी थी। वर्ल्ड बैंक ने कहा था कि 68 में से 27 देश ऐसे हैं जो कर्ज की वजह से बेहद परेशानी हैं। आधे से ज्यादा देशों में तनाव की वजह चीन था।
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