माले। भारत(India) और मालदीव (Maldives) में हमेशा के अच्छे पड़ोसी संबंध (good neighborly relations) रहे हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों में चीन(China) की बढ़ती गतिविधियों के चलते रणनीतिक रूप से भारत(India) से मालदीव (Anti-India protests in Maldives) दूर होता जा रहा है. हाल ही में सोशल मीडिया पर मालदीव(Maldives) से कई वीडियो सामने आई हैं, जिसमें लोग ‘इंडिया आउट’ (India Out) की टी-शर्ट पहने भारत सरकार के खिलाफ विरोध (protest against the Indian government) जताते नजर आ रहे हैं. लेकिन अब ऐसे प्रदर्शनों को रोकने के लिए सत्ताधारी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) ने बड़ा कदम उठाया है.
मालदीव में चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन (Abdulla Yameen) की तरफ से भारत के खिलाफ चलाए जा रहे जहरीले ‘इंडिया आउट’ अभियान को मालदीव सरकार अवैध घोषित करने के लिए नया विधेयक लेकर आ रही है. ऐसा करके मालदीव एक संतुलित विदेशी नीति को अपना रहा है, जो बाकी देशों के साथ उसके संबंधों को मजबूत बनाने में असरदार सिद्ध होगा.
मालदीव क्यों है भारत से नाराज?
दरअसल, मालदीव के लोग वहां मौजूद भारतीय सैनिकों और उपकरणों को अपने देश से निकालने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसकी शुरुआत 2018 में हुई थी. यह पहली बार नहीं है जब मालदीव में भारतीय सेना और भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं. ऐसा ही विरोध साल 2012 में हुआ था, जिसके बाद भारतीय एयरपोर्ट ऑपरेटर जीएमआर को उस वर्ष मालदीव छोड़ भारत लौटना पड़ा था.
कैसे शुरू हुआ भारत विरोधी कैंपेन?
तत्कालीन राष्ट्रपति राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने भारत से अपने दो हेलिकॉप्टरों और एक डॉर्नियर एयरक्राफ्ट ले जाने को कहा था, जिसके बाद ‘इंडिया आउट’ कैंपेन ने जोर पकड़ा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव में सैन्य अधिकारी और एयरक्राफ्ट की तैनाती भारत द्वारा वहां खोजी और राहत बचाव अभियान के लिए तैनात किए गए है. वहीं, मालदीव का कहना है कि अगर भारत ने उन उपकरणों को गिफ्ट में दिया है, तो इसका इस्तेमाल भी स्थानीय लोगों द्वारा की किया जाना चाहिए.
कैंपेन से मालदीव सरकार चिंतित
वहीं, मालदीव की वर्तमान सरकार अपने यहां हो रहे भारत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से चिंतित है. 19 दिसबंर को वहां के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया था कि भारत के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठ और नफरत को लेकर मालदीव सरकार चिंतित है. भारत हमारा सबसे करीबी द्विपक्षीय साझेदार है, लेकिन कुछ समूह और नेता संबंधों को खराब करने के लिए प्रॉपेगैंडा फैला रहे हैं. बता दें कि इस बीच मालदीव में चीन की भी दिलचस्पी बढ़ी है.
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