- आधार सेवा केंद्र से पहले व्यक्ति का डाटा बेंगलुरु स्थित यूडीआईएआई सेंटर पर पहुँचेगा
- बेंगलुरु से सत्यापन के लिए इसे भोपाल और फिर वहाँ से संबंधित जिले में भेजा जाएगा
उज्जैन। सुरक्षा नियमों को देखते हुए अब 18 साल से अधिक उम्र के किसी व्यक्ति द्वारा आधार के लिए नामांकन कराने पर उसका राष्ट्रीय, राज्य और जिला यानी स्थानीय स्तर पर सत्यापन किया जाएगा। इन तीन स्तरों पर सत्यापन के बाद ही संबंधित व्यक्ति को आधार कार्ड मिल सकेगा।
लगातार आधार कार्ड से हो रही धोखाधड़ी एवं सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखते हुए अब आधार कार्ड बनाना सरल नहीं रह गया है। अब यदि 18 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के व्यक्ति के द्वारा आधार के लिए नामांकन कराया जाता है तो उसे कार्ड मिलने में छह माह तक का वक्त लग सकता है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने आयु समूह के आधार नामांकन के लिए बड़ा बदलाव किया है। इस कारण आधार कार्ड मिलने की अधिकतम समय सीमा अब छह महीने तय कर दी गई है। नई प्रक्रिया के तहत आधार नामांकन के बाद इनका राष्ट्रीय, राज्य और जिला यानी स्थानीय स्तर पर सत्यापन किया जाएगा। यानी अब तीन स्तरीय सत्यापन व्यवस्था लागू की गई है। जिस आधार सेवा केंद्र से ऐसे लोग नामांकन कराएँगे, उस केंद्र से पहले इनका डाटा यूआइडीएआइ के डाटा सेंटर बेंगलुरु पहुँचेगा। वहाँ से सत्यापन के लिए इसे भोपाल भेजा जाएगा। इसके बाद भोपाल से संबंधित जिले में भेजा जाएगा। इन तीन स्तरों पर सत्यापन के बाद ही संबंधित व्यक्ति को आधार कार्ड मिल सकेगा। राज्य स्तर और जिला स्तर पर सत्यापन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक दस वर्ष पहले के आधार कार्ड वाले लोगों के लिए पता और पहचान नवीनीकरण करवाना इसीलिए आवश्यक किया गया है। इसके तहत आनलाइन और आफलाइन दोनों मोड से व्यवस्था की गई है। आनलाइन फ्री नवीनीकरण की डेडलाइन भी तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। पिछले महीने यह डेडलाइन 14 जून से 14 सितंबर तय की गई। आनलाइन नवीनीकरण में पता और पहचान दोनों से जुड़े दस्तावेज अपलोड करना भी अनिवार्य हैं। इसके बिना नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। आफलाइन नवीनीकरण में बायोमेट्रिक डाटा (फिंगर प्रिंट, आइरिश स्कैन या फेस आथेंटिकेशन) भी किया जा रहा है। सुरक्षा संबंधी सभी पहलुओं को देखते हुए नई व्यवस्था की गई है। आधार योजना के पहले चरण में 2010-11 में नामांकरण के बाद जिन लोगों ने आधार बनवाए थे, तब निजी एजेंसियों के पास भी आधार बनाने का जिम्मा था। तब आवेदक द्वारा दी गई मौखिक जानकारी के आधार पर ही नामांकन कर लिए गए थे। इनमें से कई आधार फर्जी होना पाया गए थे।
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