वो अलविदा का मंजऱ वो भीगती पलकें
पस-ए-ग़ुबार भी क्या क्या दिखाई देता है।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय आज आखिरकार पूरी तरां अपने बिशनखेड़ी वाले भोत वसी (विशाल) नए कैम्पस में शिफ्ट हो गया। एमपी नगर में गायत्री मंदिर के पास बनी यूनिवर्सिटी की इमारत से आज सभी डिपार्टमेंट का बाकी साजोसामान ट्रकों में लद कर बिशनखेड़ी भेज दिया गया। मालूम हो कि 160 करोड़ की लागत से इस यूनिवर्सिटी का भोत शानदार और हर लिहाज से मुकम्मल कैम्पस तकऱीबन तैयार हो चुका है। बाकी लगता है यहां से अठारा बीस किमी दूर होने से स्टाफ वहां जाने की ज़हनियत नहीं बना पा रहा था। यूनिवर्सिटी के तालिबे इल्म (छात्र) और फेकल्टी सहित दीगर स्टाफ को नई जगा भेजने की ज़हनियत बनाने का काम वाइस चांसलर केजी सुरेश साब ने करा। लिहाज़ा अब 16 जनवरी से माखनलाल यूनिवर्सिटी का पता बदल जायेगा। इस पुरानी जगा से कोई बीस बरसों में कजान कित्ते बच्चे पढ़ के निकल गए और मुल्क के मीडिया इदारों में काम भी शुरु कर दिया। उन सब का और रूहानी लगाव पुरानी इमारत से हमेशा रहेगा।
पुरानी इमारत के बरामदे, क्लास रूम्स और सीढियां स्टाफ और बच्चों को लंबे वक्त तक याद रहेंगी। वैसे 31 बरस बाद इस यूनिवर्सिटी को नया कैम्पस नसीब हो सका है। वीसी केजी सुरेश साब केते हैं – नए घर मे शुरू में थोड़ी दिक्कत तो होगी। हमने तय करा के पहले शिफ्ट होते हैं, दिक्कतें आने आप दूर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि हम पहले फंक्शनल होना चाहते हैं, उसके बाद उद्घाटन की रस्म भी अदा कर ली जाएगी। अक्सर देखा गया है कि नई इमारत का उद्घाटन तो हो जाता है लेकिन शिफ़्िटंग में काफी देर हो जाती है। फिलहाल यूनिवर्सिटी की तरफ से दो बसें स्टाफ और स्टूडेंट्स के लिए बिशनखेड़ी तक के लिए चलेंगी। पुराने परिसर और एक अन्य स्थान से ये बसें चलेंगी। आगे बसों की तादात भी बढ़ाई जा सकती है। बिशनखेड़ी के पचास एकड़ में फैले कैम्पस में लड़के और लड़कियों के होस्टल को भी शुरू कर दिया गया है। वहां खाने के लिए मेस भी है। वहां मुस्तकबिल के सहाफियों के लिए स्मार्ट क्लास रूम्स और काफी बड़ी लायब्रेरी है। वहां स्टूडेंट्स के लिए ध्यान केंद्र भी है। नए ठिये पे 800 सीटर केपेसिटी का बड़ा ऑडिटोरियम भी है। पुरानी बिल्डिंग में यूनिवर्सिटी के अंशकालीन कोर्स चलते रहेंगे। आप सबों को नए ठिकाने की बहुत मुबारकबाद।
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