नई दिल्ली (New Dehli) । सूर्यदेव का एक राशि से दूसरे राशि में परिवर्तन संक्रांति (change solstice)कहलाता है। हर साल जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश (Entry)करते हैं, तब मकर संक्रांति (makar sankranti)मनाई जाती है। मकर संक्रांति से लंबे दिन की शुरुआत होती है। मकर संक्रांति के दिन पृथ्वी अपने उत्तरी भाग में घूमना शुरू करती है। इस दिन से ही ठंड के मौसम की समाप्ति और गर्मी का आगमन होता है। मकर संक्रांति के दिन और रात दोनों बराबर होता हैं। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति के पर्व का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदीं में स्नान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। आइए जानते हैं मकर संक्रांति की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूजाविधि…
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त : 15 जनवरी 2024 को ग्रहों के राजा सूर्य सुबह 2 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
मकर संक्रांति पुण्यकाल : सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 5 बजकर 46 मिनट तक पुण्यकाल रहेगा।
मकर संक्रांति महापुण्यकाल : मकर संक्रांति के दिन सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर 9 बजे तक महा पुण्यकाल रहेगा।
पूजा सामग्री : सूर्यदेव की प्रतिमा, फल, फूल,गंगाजल, खिचड़ी, दही-चूड़ा और तिल के लड्डू समेत सभी पूजा सामग्री एकत्रित कर लें।
मकर संक्रांति की पूजाविधि :
मकर संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें।
पवित्र नदी में स्नान करें या पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं।
मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से तैयार तोरण लगा सकते हैं।
इसके बाद विधि-विधान से सूर्यदेव की पूजा करें।
साथ ही सूर्यदेव को जल अर्घ्य जरूर दें।
शनि मंदिर में काला तिल और सरसों का तेल चढ़ाएं।
शनि दोषों से छुटकारा पाने के लिए शनि साढ़ेसाती ग्रह पूजा करा सकते हैं।
इस दिन नए कार्यों की शुरुआत भी कर सकते हैं।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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