नई दिल्ली। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य देव (Surya Dev) धनु राशि से निकलकर मकर राशि (Makar Rashi) में प्रवेश करेंगे। यह घटना मकर संक्रांति कहलाती है. मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं. सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव के घर में एक माह के लिए निवास करते हैं. फिर कुंभ राशि में चले जाते हैं। कहा जाता है कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि देव (Shani Dev) से मकर संक्रांति के दिन मिलने आते हैं। शनि देव और सूर्य देव में बनती नहीं है. एक बार गुस्से में आकर सूर्य देव ने शनि देव एवं उनकी माता छाया घर जला दिया था। हालांकि बाद में सूर्य देव ने शनि देव को मकर संक्रांति से जुड़ा एक वरदान भी दिया। आइए जानते हैं इस पौराणिक कथा के बारे में…
मकर संक्रांति: शनि देव को मिला विशेष वरदान
शनि देव का रंग काला है. इस वजह से उनके पिता सूर्य देव उनको पंसद नहीं करते थे. सूर्य देव ने शनि देव को उनकी माता छाया से अलग कर दिया था. इससे दुखी होकर छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग होने का श्राव दे दिया. सूर्य देव कुष्ठ रोग से पीड़ित हो गए. तब सूर्य देव की दूसरी पत्नी के बेटे यमराज ने अपने कठोर तप से पिता सूर्य देव को स्वस्थ कर दिया।
कुष्ठ रोग से मुक्ति पाने के बाद सूर्य देव ने क्रोध में आकर शनि देव और छाया के घर कुंभ को जला दिया. इस वजह से छाया और शनि देव काफी दुखी हुए. उधर यमराज ने सूर्य देव को छाया और शनि देव के साथ ऐसा व्यवहार न करने की सलाह दी. सूर्य देव का क्रोध जब शांत हुआ तो वे एक दिन पुत्र शनि देव और पत्नी छाया के घर गए।
सूर्य देव ने देखा कि शनि के घर में कुछ भी नहीं बचा था. सब कुछ जलकर राख हो गया था. शनि देव के घर केवल काला तिल बचा था. उस काले तिल से ही शनि देव ने पिता सूर्य देव का स्वागत किया. यह देखकर सूर्य देव खुश हुए और शनि देव को दूसरा घर मकर प्रदान किया. साथ ही शनि देव को वरदान दिया कि जब वे मकर संक्रांति पर उनके घर मकर राशि में आएंगे, तो उनका घर धन धान्य से भर जाएगा. जो इस दिन काले तिल से सूर्य देव की पूजा करेगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
सूर्य देव जब मकर संक्रांति पर शनि देव के घर मकर राशि में प्रवेश किए, तो उनको पूरा घर धन धान्य से भर गया. इस वजह से हर साल मकर संक्रांति पर काले तिल से सूर्य की पूजा की जाती है और काले तिल, तिल के लड्डू का दान किया जाता है. काले तिल से पूजा करने पर सूर्य देव और शनि देव दोनों ही प्रसन्न होते हैं।
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