नई दिल्ली (New Delhi) । अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) तैयारियों में जुट गई है। संगठन से लेकर सरकार तक चल रहे समीक्षाओं के दौर के बाद भावी बदलावों को लेकर पार्टी पर दबाब बढ़ने लगा है। यह बदलाव केंद्र से लेकर राज्यों तक संभावित है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की हार के बाद पार्टी सतर्क है और वह जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार दिख रही है। शनिवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) ने विभिन्न मोर्चो की संयुक्त बैठक और पार्टी महासचिवों के साथ बैठक में महा जनसंपर्क अभियान की समीक्षा की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नौ साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं को लेकर जनता के बीच जाने का भाजपा का महीने भर का महा जनसंपर्क अभियान पूरा हो गया है। अब पार्टी इस अभियान की समीक्षा कर रही है। पार्टी नें केंद्रीय स्तर पर कई दौर का मंथन भी किया है, जिसमें उसने महसूस किया है कि लोकसभा चुनावों की तैयारियों को गति देने और रणनीतिक लिहाज से कुछ परिवर्तन करना जरूरी है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही संगठनात्मक बदलाव किए जा सकते हैं।
दो राज्यों के चुनावी नतीजों को गंभीरता से लिया गया
पार्टी ने बीते छह माह में अपनी सत्ता वाले दो राज्यों हिमाचल प्रदेश व कर्नाटक के चुनाव नतीजों को काफी गंभीरता से लिया है। इन दोनों राज्यों में भाजपा को कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाना पड़ी है। अब पार्टी को लोकसभा चुनाव के पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में जाना है। इनमें मध्य प्रदेश में उसकी अपनी सरकार है, जबकि छत्तीसगढ़ व राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है। मिजोरम में भाजपा की सहयोगी और तेलंगाना में बीआरएस सत्ता में हैं।
मोदी एक दिन में मथेंगे पूरा पूर्वांचल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात जुलाई को पूर्वांचल को मथेंगे। एक छोर से दूसरे तक पूरे पूर्वांचल को साधेंगे। गोरखपुर से शुरू होने वाली प्रधानमंत्री की यात्रा, बुद्ध की धरती कुशीनगर से होते हुए वाराणसी में पूरी होगी। गीता प्रेस जाकर जाकर मोदी न सिर्फ विरोधियों को जवाब देंगे, बल्कि पार्टी के एजेंडे को भी धार देंगे। पीएम का यह दौरा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मिशन-यूपी का आगाज माना जा रहा है।
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