नई दिल्ली (New Delhi)। उड़ीसा में हुई रेल दुर्घटना के बाद से भारतीय रेलवे बोर्ड (Indian Railway Board) कई प्रकार की जांच करवा रहा है। जिसमें रेलवे ट्रैक (railway track) के काम में इस्तेमाल की जाने वाली एक सेंसर मशीन (sensor machine) में खामियां मिली हैं। इस मशीन को रेलवे ने अपनी डिजाइन और मानक इकाई आरडीएसओ (Research Design and Standards Organization) द्वारा अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुसार चालू किया था और फिर अधिकारियों ने इसका परीक्षण किया जिसके बाद बताया कि इस मशीन में खामियां हैं।
उन्होंने कहा कि यदि इकाइयों को वापस नहीं लिया गया तो खराब इकाइयों के कारण बालासोर जैसी घटना हो सकती है। अधिकारियों ने कहा कि एमएसडीएसी प्रणाली की लगभग 4,000 इकाइयां रेलवे द्वारा पांच लाख रुपये प्रति यूनिट की लागत से खरीदी गई हैं और परीक्षण के हिस्से के रूप में उनका परीक्षण किया जा रहा है। बड़ी बात ये है कि सात जोन में 3000 इकाइयाँ पहले से ही मौजूद हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सिस्टम इतना ख़राब है कि अगर यह किसी धातु के संपर्क में आता है तो सिग्नल भेजता है। कभी-कभी सेंसर ट्रॉली की गतिविधियों का पता लगाते हैं और कभी-कभी नहीं (अप्रत्याशित)। यह भी देखा जाता है कि कभी-कभी ट्रॉली के दो पहिये गुजरते हैं लेकिन सिस्टम केवल एक का ही पता लगाता है।
रेलवे के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने ट्रेन नियंत्रकों की कमी को लेकर रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है और इन पदों को भरने के लिए उच्च वेतन और भत्ते जैसे उपाय सुझाए हैं। उन्होंने कहा कि ट्रेन नियंत्रकों का काम सबसे तनावपूर्ण और चुनौतीपूर्ण है साथ ही सुरक्षित और सुचारू ट्रेन संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2020 में ट्रैफिक अप्रेंटिस की सीधी भर्ती बंद होने के बाद से लगभग सभी रेलवे जोन में सेक्शन कंट्रोलर के पद भरने में दिक्कत आ रही है।
सीधी भर्ती प्रक्रिया को बंद करने के बाद, रेलवे ने स्टेशन मास्टर (55 फीसदी), गार्ड (10 फीसदी) और ट्रेन क्लर्क (10फीसदी) को पदोन्नत करके नियंत्रकों के 75 फीसदी पदों को भरने का फैसला किया। शेष 25 फीसदी भर्तियां सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से की जानी हैं। पत्र में लिखा है सातवीं सीपीसी (केंद्रीय वेतन आयोग) में स्टेशन मास्टर और सेक्शन कंट्रोलर का प्रारंभिक ग्रेड वेतन एक समान कर दिया गया था। इसके कारण स्टेशन मास्टर वर्ग में ट्रेन कंट्रोलर पद के लिए आवेदन करने में अनिच्छा है।
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