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सरकार से नहीं मिला मक्का को समर्थन, किसान कम भाव में बेच रहे उपज

November 08, 2020

भोपाल। इस वर्ष भावांतर योजना या समर्थन मूल्य खरीदी के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने मक्का उपज का पंजीयन नहीं करवाया है। इसके चलते किसानों को कम भाव में मक्का उपज बेचना पड़ रही है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान वहन करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मक्का उपज का भाव 1000 से 1300 प्रति क्विंटल मिल रहा है जबकि केंद्र सरकार ने मक्का का प्रति क्विंटल लागत मूल्य 1213 रुपए तथा समर्थन मूल्य 1850 प्रति क्विंटल तय किया है लेकिन पंजीयन न होने से किसानों को कम भाव में ही उपज बेचकर नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि किसानों को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा। वहीं आगामी दीपावली त्यौहार को देखते हुए और गेहूं चने की बोनी के लिए किसान मजबूरी में कम भाव में अपनी मक्का उपज बेच रहे हैं। किसान जगदीश पाटीदार ने बताया कि इस बार मक्का फसल पर फालवार्म इल्लियों के प्रकोप के कारण उत्पादन भी प्रभावित हुआ है। वहीं भाव भी कम मिलने से दोहरा नुकसान हो रहा है।

भोपाल की करोंद मंडी में सोयाबीन से ज्यादा दमक रहा गेहूं
भोपाल की करोंद मंडी में इन दिनों सोयाबीन से ज्यादा गेहूं दमक रहा है। प्रतिदिन दो से तीन हजार क्विंटल गेहूं बिकने आ रहा है, जो सोयाबीन की आवक से चार गुना अधिक है। किसानों को भाव भी 2200 रुपये क्विंटल तक मिल रहे हैं। जिससे किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। इस साल मध्यप्रदेश में गेहूं की रिकार्ड पैदावार हुई। इससे 15 अप्रैल से 5 जून तक प्रदेश में समर्थन मूल्य पर रिकार्ड 127 लाख 76 हजार 628 टन गेहूं खरीदा गया था। भोपाल में करीब 2.80 लाख टन गेहूं खरीदा गया था, जबकि लक्ष्य 2.10 लाख टन था। किसानों को प्रति क्विंटल 1925 रुपये मिले थे। समर्थन मूल्य पर रिकार्ड खरीदी के बावजूद किसानों ने कुछ मात्रा में गेहूं संभालकर रख लिया था, जो अब मंडियों में पहुंचने लगा है। यही कारण है कि करोंद मंडी सोयाबीन की आवक कम है और गेहूं की अधिक। इसके अलावा मक्का भी अच्छी मात्रा में बिकने आ रही है।

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