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यूपी : बाबा की अकूत संपत्ति का खुलासा, 21 बीघा में फैला है आश्रम, लाखों रुपये आता चंदा, लग्जरी गाड़ियां भी

मैनपुरी (Mainpuri) । यूपी (UP) के हारथरस (Hathras) में नारायण साकार हरि (Narayan Saakar Hari) उर्फ भोले बाबा (Bhole Baba) के कार्यक्रम में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बाद वो सवालों के घेरे में है और गायब है. हालांकि इस दौरान उनकी अकूत संपत्ति का खुलासा जरूर हुआ है.

मैनपुरी के बिछवा में जिस आश्रम में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा रहते हैं उसकी कीमत करोड़ों में है. अलीगढ़ जीटी रोड पर 21 बीघा जमीन पर बना बाबा का यह आश्रम तमाम सुविधाओं से लैस है. इस आश्रम में बाबा की आलीशान कोठी, लग्जरी गाड़ियों को रखने के लिए गैरेज सहित आधुनिक सुविधाएं हैं. मीडिया की पड़ताल में सामने आया कि बाबा का यह आश्रम लगभग 21 बीघा में फैला हुआ है. बाबा को आश्रम के लिए यह जमीन मैनपुरी के ही विनोद बाबू ने दान में दे दी थी.

करोड़ों की जमीन पर बने इस आश्रम के चारों तरफ बनी बाउंड्री और सारी सुविधाओं से लैस इस कोठी को बनाने का पैसा कहां से आया तो इसके जवाब में बाहर ही दानदाताओं की लिस्ट लगी हुई है. इसके अलावा आश्रम के बाहर बोर्ड पर ही लिखा है कि दान देने वाले इन लोगों को बाबा के साथ रहने और उनके स्वास्थ्य की देखभाल करने की ‘विशेष सुविधा’ मिली हुई थी.


आश्रम के बाहर लगी दानदाताओं की लिस्ट
बाबा ने आश्रम के गेट पर 200 बड़े दानदाताओं की एक लिस्ट लगा रखी है. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम जमीन दान देने वाले विनोद बाबू का है. उसके बाद 199 नाम उन लोगों के हैं जिन्होंने आश्रम को 2 लाख 51 हजार रुपए से लेकर डेढ़ लाख, 1 लाख, 80 हजार, 50,000, 25000, 11000 और 10,000 रुपये तक दान में दिए. लिस्ट में 10,000 से कम का दान देने वाले दानकर्ताओं का नाम नहीं है.

रामकुटी ट्रस्ट के द्वारा चलाए जा रहे मैनपुरी के बिछुआ आश्रम के अलावा भी बाबा नारायण साकार हरि के उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी आश्रम बताया जा रहे हैं. बाबा के कई बड़े-बड़े आश्रम अलग-अलग शहरों में बने हुए हैं. कासगंज, आगरा, कानपुर, शाहजहांपुर के साथ साथ ग्वालियर में भी आश्रम हैं. बाबा ने अपनी अकूत संपत्ति को बचाने के लिए भी बेहद शातिर तरीका अपना रखा है.

बाबा के पास जितने भी शहर में आश्रम है उनके अलग-अलग ट्रस्ट हैं जैसे मैनपुरी में राम कुटीर ट्रस्ट ऐसे ही हर शहर के लिए अलग ट्रस्ट और उसे ट्रस्ट में ट्रस्टी भी उस शहर के ही लोग हैं. दस्तावेजों में बाबा ट्रस्ट के नाम पर ही पैसा इकट्ठा करवाता है और फिर आलीशान किलेनुमा कोठी बनाकर सारी सुविधाओं के साथ लग्जरी लाइफ जीता है. बाबा भगवा पहनने के बजाए सूट-बूट टाई पहनकर रहता है. वो महंगी घड़ी और महंगा चश्मा लगाकर लोगों को भक्ति सिखाता है.

अर्धनिर्मित स्कूल में रखता है प्रचार का सामान
बाबा का एक और खेल भी सामने आया है. मैनपुरी में आश्रम के ठीक सामने एक अर्धनिर्मित स्कूल है. यह स्कूल पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुआ है लेकिन स्कूल के कमरों का इस्तेमाल बाबा के प्रचार-प्रसार के सामानों को रखने के लिए किया जाता है. यहां काम करने वालों के लिए कमरे बने हुए हैं जिसमे बाबा के भक्त भी रहते हैं. जानकारी के मुताबिक बाबा ने अपने आश्रम के आसपास के खेतों को भी किराये पर ले रखा है जहां वो अपने कार्यक्रम का आयोजन करते हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं बाबा ने अपने करोड़ों की संपत्ति को जुटाने के लिए हर शहर में अलग-अलग ट्रस्ट और फिर उस ट्रस्ट से जुड़े लोगों के नाम पर स्कूल खेत लेने का गोरखधंधा तो नहीं खोल रखा है. हालांकि उनके भक्त दावा करते हैं कि बाबा एक पैसा दान में नहीं लेते और वो पुलिस विभाग से मिलने वाली पेंशन से ही दाल रोटी खाकर गुजारा करते हैं.

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