नई दिल्लीः कथित ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ मामले में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा आज लोकसभा आचार समिति के सामने पेश हुईं. वहीं पेशी से पहले टीएमसी सांसद ने उस पत्र की एक कॉपी शेयर की, जो उन्होंने बुधवार को एथिक्स कमिटी को लिखा था. भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखे जाने के बाद मोइत्रा राजनीतिक विवाद में फंस गई हैं, जहां यह आरोप लगाया गया है कि महुआ मोइत्रा ने अडानी ग्रुप को टारगेट करने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी.
महुआ के मामले में गृह, आईटी और विदेश मंत्रालय ने एथिक्स कमेटी को रिपोर्ट सौंपी है, उनके आधार पर महुआ से पूछताछ की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आईटी मिनिस्ट्री ने कमेटी के बताया है कि महुआ की आईडी से दुबई से कम से कम 47 बार लॉगिन किया गया था. कमेटी ने बीते 26 अक्टूबर को हुई बैठक के बाद तीनों मंत्रालयों से जानकारी मांगी थी.
मोइत्रा ने 31 अक्टूबर को लिखे लेटर को शेयर करते हुए कहा, “चूंकि एथिक्स कमेटी ने मीडिया को मेरा समन जारी करना उचित समझा, इसलिए मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि मैं भी कल की सुनवाई से पहले समिति को अपना पत्र जारी करूं.” पत्र में मोइत्रा ने कहा कि वह 2 नवंबर को पैनल के सामने पेश होंगी और अपने खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी की शिकायत को खारिज कर देंगी. टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने बिजनेसमैन हीरानंदानी और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई को क्रॉस एग्जामिन करने की मांग की है. इसका जिक्र उन्होंने एथिक्स कमिटी को लिखे गए लेटर में किया गया है.
महुआ मोइत्रा ने शेयर किए लेटर में कहा कि संसदीय समितियों में आपराधिक क्षेत्राधिकार का अभाव है और उन्होंने ऐसे मामलों में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया. मोइत्रा ने कथित “रिश्वत देने वाले” हीरानंदानी से जिरह करने की इच्छा भी व्यक्त की, जिन्होंने “पर्याप्त सबूत पेश किए बिना” समिति को एक हलफनामा प्रस्तुत किया था.
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