इन्दौर (Indore)। शहर एवं गांवों में वाहन चलाते हुए अचानक माहू मच्छरों (aphids mosquitoes) की टोलियों से वाहन चालकों का सामना हो रहा है। आंखों में घुसने से लेकर कपड़ों पर चिपक जाने वाले इन मच्छरों की तादाद बड़ी संख्या में झुंड के रूप में अलग-अलग क्षेत्रों में नजर आती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम बदलने और कुछ अन्य कारणों के चलते इन दिनों माहू मच्छरों की भरमार होती है।
खासकर पेड़-पौधे और खेतों तथा नदी-नाले किनारों के साथ-साथ शहर के अुन्य हिस्सों में मुख्य मार्गों पर मच्छरों के कारण वाहन चालक अच्छे खासे परेशान हो रहे हैं। कई लोग इस मामले को समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक इतने सारे मच्छर एक साथ देश के सबसे स्वच्छ शहर में कैसे आ गए। अचानक वाहन चलाते समय आंखों में कई बार मच्छर घुस जाते हैं, जिसके कारण वाहन चालक दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। पिछले पांच, सात दिनों से यह समस्या कई क्षेत्रों में आ रही है और निगम के अधिकारी भी इसका मांजरा समझ नहीं पाए, जबकि कई विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों मौसम बदलाव के बाद ऐसी स्थिति बनती है और उस दौरान सूक्ष्म प्रकार के मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है।
माहू के बारीक कीड़ों का आतंक
मौसम में सुबह और शाम के समय ठंडी का माहौल बना हुआ है। इसके चलते शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में माहू (अतिसूक्ष्म हवा में उडऩे वाले कीड़े) का आतंक बना हुआ है। शहरी क्षेत्रों में जहां नमी और हरियाली ज्यादा है, वहां पर इन छोटे-छोटे कीड़ों के कारण दोपहिया वाहन चालकों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है। पता ही नहीं चलता और आंखों में चले जाते हैं। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में भी शाम 5 बजे से 7 के बीच इस प्रजाति के कीड़ों को देखा जा सकता है, जिसके कारण व दोपहिया वाहन चालकों की दुर्घटना की आशंका भी आंखों में जाने से बन जाती है।
नमी है कारण, डेढ़ सप्ताह की उम्र
कृषि वैज्ञानिक रंजीत वानखेडे ने बताया कि माहू प्रजाति का कीेड़ा है, जो दिखने में बहुत छोटा होता है। इस समय सुबह-शाम देखा जा रहा है। दिखने में अतिसूक्ष्म और संख्या में ज्यादा होने के कारण यह दोपहिया वाहन चालकों के लिए परेशानी खड़ी करता है, वहीं फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है। मौसम में नमी होने के कारण इनको बाहर निकलने में आसानी रहती है। इन कीड़ों की उम्र डेढ़ से दो सप्ताह की रहती है।
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