– नौसेना के युद्धपोतों के लिए 14 आईएडीएस सिस्टम की आपूर्ति करेगी कंपनी
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना (Indian Navy) के आधुनिक युद्धपोतों (modern warships) के लिए पनडुब्बी रोधी युद्ध रक्षा सूट (आईएडीएस) (Anti-Submarine Warfare Defense Suit (IADS)) भारतीय कंपनी महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड (एमडीएस) (Indian company Mahindra Defense Systems Limited (MDS)) बनाएगी। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को इसके लिए कंपनी के साथ 1,349.95 करोड़ रुपये का करार किया है। महिंद्रा डिफेंस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों के लिए 14 आईएडीएस सिस्टम की आपूर्ति करेगा। ‘खरीदें और बनाएं (भारतीय)’ श्रेणी के तहत किये गए इस अनुबंध से ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को बढ़ावा मिलेगा और नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता बढ़ेगी।
रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्ध रक्षा सूट के निर्माण के लिए भारतीय कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की फर्म महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड (एमडीएस) के साथ 1,349.95 करोड़ रुपये का अनुबंध किया गया है। भारतीय फर्म के साथ इस अनुबंध से भारत के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा है। साथ ही प्रौद्योगिकी विकास और उत्पादन में स्वदेशी रक्षा उद्योग को एक बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। यह प्रणाली भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को बढ़ाएगी। इसका इस्तेमाल दुश्मन की पनडुब्बियों और टॉरपीडो का विस्तारित रेंज में पता लगाने के साथ-साथ दुश्मन की पनडुब्बियों से दागे गए टॉरपीडो को डायवर्ट करने के लिए किया जाता है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा ने एक बयान में कहा कि एमडीएस ने रक्षा मंत्रालय (एमओडी) की वह खुली निविदा हासिल कर ली जिसमें अपनी क्षमता साबित करने के लिए समुद्र में विस्तृत परीक्षणों के माध्यम से सिस्टम लगाए गए थे। एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्ध रक्षा सूट (आईएडीएस) पानी के नीचे का उपकरण है जो नवीनतम तकनीक का उपयोग करता है। इसे पानी के नीचे के खतरों से युद्धपोतों का पता लगाने और उनकी रक्षा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक बहुमुखी प्रणाली है जो सभी प्रकार के युद्धपोतों-छोटे, मध्यम और बड़े से संचालन में सक्षम है। पानी में सेंसर की जटिल सरणी निगरानी करती है और आवश्यक कार्रवाई को सक्षम करने के लिए सिग्नल प्रोसेसिंग और विश्लेषण के लिए इनपुट प्रदान करती है।
महिंद्रा डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के अध्यक्ष एसपी शुक्ला ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का निजी क्षेत्र के साथ यह पहला बड़ा अनुबंध था जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की सफलता का प्रतीक है। 2014 में सत्ता संभालने के बाद से मोदी सरकार ने भारत को रक्षा हार्डवेयर निर्माण का केंद्र बनाने पर जोर दिया है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अनुसार भारत दुनिया के शीर्ष रक्षा हार्डवेयर खरीददारों में से एक है। रक्षा मंत्रालय ने सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ाने के अपने संकल्प को प्रदर्शित करना जारी रखा है। साथ ही स्वदेशी रक्षा उद्योग के माध्यम से कई उपकरणों को शामिल करने के साथ उन्नत प्रौद्योगिकियों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनने का संकल्प दिखाया है। (एजेंसी, हि.स.)
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