महेश्वर। देवी अहिल्या बाई होलकर की हेरिटेज नगरी महेश्वर (Maheshwar) की बेटी ने आदित्य एल1 मिशन (Aditya L1 Mission) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पेलोड बनाने वाली टीम का अहम हिस्सा रहीं प्रिया शर्मा (Priya Sharma) की इस उपलब्धि से न केवल निमाड़ बल्कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) भी गौरवान्वित हुआ है। प्रिया शर्मा महेश्वर के महीपत राव गांवशिंदे हेडमास्टर की पोती हैं।
कुछ साल पहले तक देशी प्रतिभाओं को काम करने के न तो अवसर थे और न ही उन्हें पर्याप्त तवज्जो दी जाती थी। अब हालात बदल रहे हैं। चंद्रयान-3 की सफलता के एक पखवाड़े के भीतर सूर्य के करीब जाने के लिए आदित्य एल-1 मिशन जैसे अवसर युवाओं को भारत में ही कुछ बड़ा करने के अवसर दे रहे हैं। प्रिया का कहना है कि देश की प्रतिभाओं को काम करने के लिए पहले विदेश जाना पड़ता था। उनकी प्रतिभा का सम्मान यहां कम ही होता था। आज हालात बदल रहे हैं। चंद्रयान के बाद आदित्य एल-1 का प्रक्षेपण बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि सिद्ध होगा।
प्रिया ने आदित्य एल1 के वीएसएल पेलोड (VSL payload) को बनाने वाली टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ (ISRO chairman S. Somnath) ने इस पूरी टीम का उत्साहवर्धन किया। साथ ही समय-समय पर मार्गदर्शन भी किया। मध्यवर्गीय शिक्षक माता-पिता गायत्री-श्याम गांवशिंदे की बेटी ने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। प्रिया इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु में प्रोजेक्ट इंजीनियर के तौर पर काम कर रही हैं।
प्रिया कहती हैं कि मैं बच्चों को बताना चाहती हूं कि जो कुछ भी मेहनत और समर्पण के साथ किया जाता है, उसमें हमें सफलता जरूर मिलती है। हमेशा नई चीजों के बारे में जानने की उत्सुकता से हमें नए रहस्यों को सुलझाने की प्रेरणा मिलती है। विज्ञान से जुड़े अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्यों को समझने में इसरो महत्वपूर्ण काम कर रहा है। मैं चाहती हूं कि देश के बच्चों को देश में रहकर ही देश के लिए अपना योगदान देना चाहिए। स्पेस में रुचि रखने वाले छात्र आईआईए बेंगलुरु, इसरो और स्पेस कंपनियों से जुड़ सकते हैं।
प्रिया शर्मा ने बताया कि उनका जन्म एक जनवरी 1995 को महेश्वर मे हुआ। उन्होंने वीईएलसी डिजाइन एनालिटिक्स और सिमुलेशन में अपना योगदान दिया है। ऑप्टिक्स संबंधित प्रयोगात्मक परीक्षण में भी योगदान रहा है। वीईएलसी पेलोड का अंतिम ऑप्टिकल टेस्ट इसरो में हुआ था, उसमें उनका अहम योगदान रहा। फाइनल ऑप्टिकल एक्सपेरिमेंटल टेस्ट की प्लानिंग और सिमुलेशन से टीम को कई महत्वपूर्ण आंकड़े मिले हैं। इस दौरान पूर्व परियोजना निरीक्षक राघवेंद्र प्रसाद और मौजूदा परियोजना पर्यवेक्षक प्रोफेसर आर रमेश ने मार्गदर्शन किया। वह बहुत खुश हैं कि उन्होंने इसरो के आदित्य-एल1 मिशन में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर भारतीय एस्ट्रोफिजिक्स संस्थान में प्रशिक्षण में योगदान दिया है।
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