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महात्मा गांधी, प्रधानमंत्री मोदी और स्वच्छता अभियान

October 02, 2021

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

सार्वभौमिक स्वच्छता प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाने और स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने की मंशा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का आरंभ किया था। उस दिन पूरे देश ने महात्मा गांधी को भी याद किया, न केवल उनके अन्य कार्यों को याद करते हुए उन्हें राष्ट्रीय योगदान में प्रेरणा स्वरूप स्मरण किया गया था बल्कि विशेषकर स्वच्छता अभियान को लेकर उनके विचारों की अधुनातन महत्ता पर उनके विचारों पर चर्चा की गई थी।

वस्तुत: महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने संबंधी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट संदेश दिया था। कहना होगा कि स्वाधीनता के पूर्व ही उन्होंने ”स्वच्छ भारत” का सपना देखा था जिसके लिए वह चाहते थे कि भारत के सभी नागरिक एक साथ मिलकर देश को स्वच्छ बनाने के लिए कार्य करें। देखा जाए तो महात्मा जी के स्वच्छ भारत के स्वप्न का वर्तमान उद्देश्य केवल आसपास की सफाई करना ही नहीं अपितु नागरिकों की सहभागिता से अधिक-से अधिक पेड़ लगाना, कचरा मुक्त वातावरण बनाना, शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराकर स्वच्छ भारत का निर्माण करना है।

यह इसलिए भी महत्व रखता है, क्योंकि अस्वच्छ भारत की तस्वीरें भारतीयों के लिए प्राय: शर्मिंदगी की वजह बन जाती हैं। जब विदेशी पर्यटक या देशी पर्यटक भी एक राज्य से दूसरे राज्यों में जाते हैं तब स्वच्छ भारत ही उनके मन को भाता है और उनके हृदय को आनन्द से भरता है। सच पूछिए तो यह अभियान न केवल नागरिकों को स्वच्छता संबंधी आदतें अपनाने बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश की छवि स्वच्छता के लिए तत्परता से काम कर रहे देश के रूप में बनाने में भी मदद करता है।

खुशी की बात यह है कि देश आज देख रहा है कि जो वर्ष 2014 में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू किया था, उससे हमने पिछले सात सालों में बहुत कुछ पाया है। यह इस मिशन की बड़ी सफलता कही जा सकती है कि इसके तहत, भारत में सभी गांवों, ग्राम पंचायतों, जिलों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ग्रामीण भारत में 100 मिलियन से अधिक शौचालयों का निर्माण करके दो अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती तक स्वयं को “खुले में शौच से मुक्त” (ओडीएफ) घोषित किया था।

अब बारी इससे आगे बढ़ने की है। निश्चित तौर पर इस बीच जनसंख्या के लगातार बढ़ने से तमाम प्रकार के दबाव भी भारत के सामने हैं, किंतु यह भी सत्य है कि इन्हीं दबावों के बीच हम अपनी स्वच्छता का जितना अधिक ध्यान रख पाएंगे, उतना ही अधिक स्वयं में हमारी तरक्की तो होगी ही, हम सभी के मिलेजुले प्रयत्नों से भारत भी विश्व पटल पर तेजी से आगे बढ़ता हुआ नजर आएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि खुले में शौच न करने की प्रथा आगे भी व्यवहार में बनी रहे, कोई भी वंचित न रह जाए और ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन की सुविधाएं सुलभ हों, मिशन अब अगले चरण II अर्थात् ओडीएफ-प्लस की ओर अग्रसर है।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण के तहत ओडीएफ प्लस गतिविधियां ओडीएफ व्यवहार को सुदृढ़ करेंगी और गांवों में ठोस एवं तरल कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए मध्यवर्तन करने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने बापू की जयन्ती के एक दिन पूर्व जो स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 और इसके साथ ही कायाकल्प एवं शहरी सुधार के लिए अटल मिशन 2.0 का शुभारंभ किया है। अब जरूरी यह है कि उसे भी हम भारतवासी मिशन एक की तरह ही सफल बनायें।

वस्तुत: स्वच्छता के इस मिशन 2.0 में नरेन्द्र मोदी की देशवासियों से अपेक्षा है कि वे सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ और ‘जल सुरक्षित’ बनाने की आकांक्षा को साकार करें। वास्तव में ये प्रमुख मिशन भारत में तेजी से शहरीकरण की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने और सतत विकास लक्ष्य 2030 की उपलब्धि में योगदान करने में मददगार साबित होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने आज बोला भी है कि स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन की अब तक की यात्रा वाकई हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है। इसमें मिशन भी है, मान भी है, मर्यादा भी है, एक देश की महत्वाकांक्षा भी है और मातृभूमि के लिए अप्रतिम प्रेम भी है। वे इस बात पर गहरी खुशी भी जता रहे हैं कि स्वच्छता अभियान को मजबूती देने का बीड़ा हमारी आज की पीढ़ी ने उठाया हुआ है। टॉफी के रैपर अब जमीन पर नहीं फेंके जाते, बल्कि पॉकेट में रखे जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चे, अब बड़ों को टोकते हैं कि गंदगी मत करिए।

इसके साथ ही मोदी यह भी बता रहे हैं कि हमें ये याद रखना है कि स्वच्छता, एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम है, ऐसा नहीं है। स्वच्छता हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला महाअभियान है। स्वच्छता जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन मंत्र है। एक आंकड़ा भी उन्होंने देशवासियों के साथ साझा किया है कि आज भारत हर दिन करीब एक लाख टन Waste, Process कर रहा है। 2014 में जब देश ने अभियान शुरू किया था तब देश में हर दिन पैदा होने वाले वेस्ट का 20 प्रतिशत से भी कम process होता था। आज हम करीब 70 प्रतिशत डेली वेस्ट process कर रहे हैं। अब हमें इसे 100 प्रतिशत तक लेकर जाना है। सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को Water secure cities’ बनाना और ये सुनिश्चित करना कि हमारी नदियों में कहीं पर भी कोई गंदा नाला न गिरे। यह भी प्रधानमंत्री मोदी का आज का संदेश है।

कुल मिलाकर मिशन 2.0 स्वच्छ भारत सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाने और अटल मिशन के अंतर्गत आने वाले शहरों के अलावा अन्य सभी शहरों में धूसर और काले पानी के प्रबंधन को सुनिश्चित करने, सभी शहरी स्थानीय निकायों को शौच से मुक्त और एक लाख से कम जनसंख्या वाले को शौच से मुक्त करने की परिकल्पना करता है। इससे शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित स्वच्छता के लक्ष्य को पूरा किया जा सकेगा। यह ठोस कचरे के स्रोत पृथक्करण के लिए थ्रीआर के सिद्धांत पर काम करेगा। ये तीन आर (रिड्यूस (कम करें) रीयूज (पुन: उपयोग), रिसाइकल (पुर्नचक्रण)) है। इसमें शहरी ठोस कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए डंपसाइट के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाना है। केंद्र सरकार इस संपूर्ण योजना पर 1.41 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।

इसी तरह से अटल मिशन के दूसरे चरण का लक्ष्य लगभग 2.68 करोड़ नल कनेक्शन देने के साथ ही 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज का शत-प्रतिशत कवरेज करते हुए लगभग 4,700 शहरी स्थानीय निकायों में सभी घरों में पेयजल की आपूर्ति शत-प्रतिशत करना है। इससे शहरी क्षेत्रों में 10.5 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा। अमृत 2.0 में सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों के तहत काम किया जाएगा। जिसमें कि यह सतह और भूजल निकायों के संरक्षण और कायाकल्प को बढ़ावा देगा। यह नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों और कौशल का लाभ उठाने के लिए जल प्रबंधन और प्रौद्योगिकी उप-मिशन में डेटा आधारित शासन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध है। इस योजना पर मोदी सरकार 2.87 लाख करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है ।

अंत में यही कि स्वच्छता अभियान और अमृत ने पिछले सात वर्षों में शहरी परिदृश्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन दोनों प्रमुख मिशनों ने नागरिकों को जल आपूर्ति और स्वच्छता की बुनियादी सेवाएं प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि की है। स्वच्छता आज जन आंदोलन बन गया है। सभी शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है और 70 प्रतिशत ठोस कचरे को अब वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जा रहा है। कहना होगा कि यह आज के समय में हमारे लिए स्वच्छता के क्षेत्र में किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है।

(लेखक, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य एवं पत्रकार हैं।)

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