उज्जैन। वैसे तो विश्व भर में लाखों-करोड़ों शिव मंदिर (Shiv Temple) है, लेकिन बाबा महाकाल (Baba Mahakal) का दरबार कुछ निराला ही है। यहां पर सभी पर्वों की शुरुआत बाबा महाकाल के आंगन से ही होती है। महाशिवरात्रि उत्सव (Mahashivratri festival) की धूम भी पूरे नौ दिनों तक दिखाई देती है। इस मंदिर मैं शिवरात्रि के नौ दिन (nine days of shivratri) पूर्व से बाबा महाकाल का विशेष पूजन-अर्चन, अभिषेक और शृंगार किया जाता है।
बाबा महाकाल के निराले भक्त भी इस उत्सव को शादी की तरह ही धूमधाम से मनाते हैं। नौ दिवसीय उत्सव में बाबा महाकाल को हल्दी उबटन लगाने के बाद दूल्हा बनाया जाता है और प्रतिदिन अलग-अलग स्वरूपों में उनका शृंगार भी होता है। इस वर्ष इस उत्सव की शुरुआत फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी 29 फरवरी 2024 गुरुवार से होने वाली है, जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी आठ मार्च महाशिवरात्रि तक रहेगी।
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा बाला गुरु ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी से मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की धूम दिखाई देगी जो नौ दिनों तक रहेगी। उन्होंने बताया कि 29 फरवरी गुरुवार को सुबह 8 बजे कोटि तीर्थ कुंड के समीप विराजमान भगवान श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन के बाद इस उत्सव की शुरुआत होगी। ऐसा माना जाता है कि कोटेश्वर महादेव कोटि तीर्थ कुंड के प्रधान देवता है। इस वजह से पहले उनका पूजन होगा। उसके बाद भगवान महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया जाएगा। सुबह 8:00 से 9:00 तक भगवान कोटेश्वर का पूजन-अर्चन, अभिषेक करने के बाद उन्हें हल्दी लगाई जाएगी। इसके बाद 11 ब्राह्मण लघु रुद्र का पाठ करेंगे। इसके बाद भोग आरती होगी और दोपहर तीन बजे भगवान महाकालेश्वर का संध्या पूजन कर विशेष शृंगार किया जाएगा।
नौ दिन तक ऐसा रहेगा बाबा महाकाल का शृंगार
पहले दिन वस्त्र धारणः शिवरात्रि से पहले के नौ दिन विशेष हैं। शिव नवरात्रि के पहले दिन बाबा महाकाल का चंदन से शृंगार किया जाता है। जलाधारी पर हल्दी चढ़ाई जाती है।
दूसरे दिन शेषनागः दूसरे दिन बाबा महाकाल का शेषनाग रूप में शृंगार किया जाता है। इस दिन बाबा महाकाल भक्तों को शेषनाग रूप में दर्शन देंगे।
तीसरा दिन घटाटोपः तीसरे दिन बाबा महाकाल भक्तों को घटाटोप रूप में दर्शन देंगे।
चौथे दिन छबीनाः चौथे दिन बाबा महाकाल का छबीना श्रृंगार किया जाता है, जो कि एक नवयुवक स्वरूप होता है बाबा महाकाल का शृंगार एक राजकुमार की तरह किया जाता है।
पांचवे दिन होल्करः शिव नवरात्रि के पांचवें दिन महाकाल बाबा को होलकर परंपराओं के अनुसार सजाया जाएगा।
छठे दिन मनमहेशः शिव नवरात्रि के छठवें दिन बाबा महाकाल को मनमहेश के रूप में सजाया जाएगा। इस रूप में भगवान शिव के रूप में महाकाल का श्रृंगार होगा।
सातवे दिन उमा महेशः सातवें दिन बाबा महाकाल माता पार्वती के साथ उमा-महेश के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस दिन महाकाल बाबा और मां पार्वती दोनों का स्वरूप भक्तों को दिखता है।
आठवे दिन शिव तांडवः आठवें दिन बाबा महाकाल शिव तांडव के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस स्वरूप में महाकाल का रौद्र रूप भक्तों को देखने को मिलता है।
नवें दिन निराकारः शिव नवरात्रि के आखिरी दिन में महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। कई क्विंटल फूलों का सेहरा बाबा को पहनाया जाता है।
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