रायसेन (Raisen)। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) हिंदुओं का बड़ा पर्व माना जाता है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2023) के दिन भक्त भगवान शंकर (Lord Shankar) को प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। फाल्गुन मास (Falgun month) की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। आज के दिन शिवजी की पूरे विधि विधान से उपासना करने वालों को भोले बाबा का आशीर्वाद जरूर मिलता है। जिसमें एक भी शिवालय है जो साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है।
जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश के रायसेन किले में सोमेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच हुआ था। इसे परमारकालीन राजा उदयादित्य ने बनवाया था। उस दौर में राजघराने की महिलाएं मंदिर में पूजा-अर्चना करने आती थीं। इस मंदिर में भगवान शंकर के दो शिवलिंग स्थापित हैं।
विदित हो कि यह मंदिर काफी लंबे अरसे से बंद था और 1974 तक मंदिर पर ताले लगे रहे। एक बड़े आंदोलन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद सेठी ने खुद मंदिर के ताले खुलवाए थे। इस मंदिर के पट साल में एक बार महाशिवरात्रि पर 12 घंटे के लिए खोले जाते हैं। इस दिन यहां मेला भी लगता है।
पं मिश्रा के बयान के बाद उमा भारती ने कई ट्वीट कर परंपराओं का हवाला देते हुए नवरात्रि के बाद के पहले सोमवार को मंदिर पहुंचकर गंगोत्री जल चढ़ाने का ऐलान किया था।इससे पहले पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ताला बंद होने से शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ा पाईं। इसका उन्हें आज भी मलाल है और उन्होंने उस समय एलान किया है कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुल जाता और वे शिवलिंग को गंगाजल नहीं चढ़ा देतीं, तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगी।
इतिहास के अनुसार रायसेन का ये मंदिर 11 वीं सदी में परमार शासन के दौरान बना था। बाद में अफगान शासक शेरशाह सूरी ने इसे मस्जिद का स्वरूप दे दिया था. आजादी के बाद यहा मंदिर को लेकर बड़ा आंदोलन हुआ। 1974 में तत्कालीन सरकार ने मंदिर की मूर्तियों को स्थापित कराया। उसके बाद से हर शिवरात्रि के मौके पर 12 घंटे के लिए मन्दिर पूजा के लिए खोला जाने लगा। एजेंसी
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved