निंबाहेड़ा (Nimbahera)। समूचे भारत वर्ष में महाशिवरात्रि पर्व (Mahashivratri festival) को शिव-पार्वती विवाह (Shiva-Parvati marriage) की तिथि के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि शिव-पार्वती का विवाह (Shiva-Parvati marriage) फाल्गुन (फरवरी-मार्च) मास में नहीं, बल्कि मार्गशीर्ष माह (नवंबर-दिसंबर) में हुआ था।
श्रीकल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान शिव पहली बार लिंग रूप में प्रकट हुए थे। वैसे कुछ अन्य विद्वानों का मानना है कि शिवलिंग में शिव और पार्वती दोनों समाहित हैं, दोनों ही एक साथ पहली बार इस स्वरूप में प्रकट हुए थे, इस कारण महाशिवरात्रि को भी शिव-पार्वती विवाह की तिथि के रूप में मनाया जाता है।
माघकृष्ण चतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि
शिवलिंगतयोद्रूत: कोटिसूर्यसमप्रभ॥ (ईशान संहिता)
शिव पुराण: शिव विवाह की तिथि मार्गशीर्ष में
शिवपुराण के 35 वें अध्याय में रूद्र संहिता के अनुसार महर्षि वसिष्ठ ने राजा हिमालय को भगवान शिव और पार्वती विवाह के लिए समझाते हुए विवाह का मुहूर्त मार्गशीर्ष माह में होना तय किया था। जिसके बारे में इस संहिता ग्रंथ के 58 से 61 वें श्लोक में बताया गया है।
शिवरात्रि पर विशेष संयोग
भारतीय पंचांग के अनुसार महीने के कृष्ण पक्ष की चौदस, जो शिवरात्रि का दिन है इस बार 18 फरवरी शनिवार को पंच महायोग में पड़ने से ये दिन सर्वाधिक शुभ संयोग वाला है। जिससे शिव पूजा का महत्व और बढ़ जाएगा। वस्तुतः 700 साल बाद ऐसा मौका आया है जब महाशिवरात्रि पर पंच महायोग बन रहा है। इसलिए आज पूजा-पाठ के अलावा खरीदी और नए कामों की शुरुआत भी शुभ रहेगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि शिवरात्रि पर केदार, शंख, शश, वरिष्ठ और सर्वार्थसिद्धि योग मिलकर पंच महायोग बना रहे हैं। पिछले 700 सालों में ऐसा संयोग नहीं बना। इस दिन तेरस और चौदस दोनों तिथियां है। ग्रंथों में ऐसे संयोग को शिव पूजा के लिए बहुत खास बताया है। इन ग्रह योग में नई शुरुआत और खरीदारी से लाभ मिलेगा। शनि प्रदोष में यह शिवरात्रि होने से शनि की ढैया साढ़ेसाती पनोती महादशा आदि से संबंधित कष्ट दूर होंगे।
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