नई दिल्ली (New Delhi) । शिव साधना का प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि (MahaShivratr) हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान भोलेभंडारी (Lord Bholebhandari) और देवी पार्वती (Goddess Parvati) का विवाह संपन्न हुआ था. इसी दिन शिव ने वैरागी जीवन त्यागकर राजा हिमांचल और रानी मैना देवी की बेटी माता पार्वती को अपनी जीवन संगिनी बनाया था. इस साल महाशिवरात्रि की डेट को लेकर संशय की स्थिति है. आइए जानते हैं इस बार महाशिवरात्रि का व्रत किस दिन रखा जाएगा और शंकर-पार्वती की पूजा का मुहूर्त क्या है.
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 पर शुरू हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी.
महाशिवरात्रि की पूजा रात्रि के चार प्रहर में करने का विधान है. इस समय शिव-पार्वती (Shiva-Parvati) की पूजा की जाती है. ऐसे में शिवरात्रि का व्रत और पूजन 18 फरवरी 2023 को ही किया जाएगा. चूंकि चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी 2023 को शाम को समाप्त हो रही है ऐसे में इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक शिव साधना करना भी उत्तम होगा.
महाशिवरात्रि 2023 मुहूर्त (MahaShivratri 2023 Muhurat)
प्रथम प्रहर रात्रि पूजा- शाम 06 बजकर 21 – रात 09 बजकर 31
द्वितीया प्रहर रात्रि पूजा – रात 09 बजकर 31 – 19 फरवरी 2023, प्रात: 12 बजकर 41
तृतीया प्रहर रात्रि पूजा – सुबह 12 बजकर 41 – सुबह 03 बजकर 51 (19 फरवरी 2023)
चतुर्थ प्रहर रात्रि पूजा – सुबह 03 बजकर 51 – सुबह 07:00 (19 फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि पारण समय – सुबह 07:00 – दोपहर 03 बजकर 31 (19 फरवरी 2023)
महाशिवरात्रि की सरल पूजा विधि (Mahashivratri Puja Vidhi):
-सबसे पहले शिव पूजा का संकल्प लें। यदि आप सुबह पूजा कर रहे हैं तो स्नान कर पूजा करें और अगर शाम को पूजा करेंगे तो शाम के समय स्नान कर महादेव की पूजा संकल्प लें.
-इसके बाद एक लोटा जल मंदिर में जाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. इसके बाद रोली, सिन्दूर, चावल, फल, फूल, जनेऊ, वस्त्र, धूप, दीप, सप्त धान्य, बेलपत्र, धतूरे के फूल, आंकड़े के फूल आदि सामग्री को एकत्रित कर लें और उसके बाद पंचामृत बनाकर रख लें.
-फिर विधि विधान पूजा करें। 108 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ कहकर सभी सामग्री भगवान शिव को अर्पित करें.
-इस दिन शिव मंत्रों का जाप जरूर करें। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इस दिन रुद्राष्टक, शिवाष्टक और शिव स्तुति का पाठ जरूर करें.
-महाशिवरात्रि के पर्व पर बहुत से लोग चारों पहर की पूजा करते हैं. तो जो लोग भगवान शिव की चारों पहर की पूजा करना चाहते हैं उन्हें रात्रि के पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे पहर में घी और चौथे पहर में शहद से पूजन करना चाहिए. ध्यान रखें कि हर पहर में जल का प्रयोग अवश्य करें. ऐसा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
महाशिवरात्रि व्रत महत्व (MahaShivratri Vrat Significance)
महाशिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. वैसे तो हर माह कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन महाशिवरात्रि का दिन शिव शंभू और माता पार्वती की पूजा करने वालों का वैवाहिक जीवन कष्ट मुक्त रहता है. सुयोग्य वर प्राप्ति की कामना के लिए महाशिवरात्रि व्रत उत्तम माना गया है.
जिस प्रकार देवी पार्वती ने सालों शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की थी, उसी प्रकार कहते हैं कि महाशिवरात्रि के व्रत प्रभाव से शिव समान जीवनसाथी पाने की इच्छा पूरी होती है. वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है. मान्यता है कि इसी दिन विश्व प्रसिद्धि 12 ज्योतिर्लिगं के रूप में शिव जी प्रकट हुए थे. जो मासिक शिवरात्रि व्रत शुरू करना चाहते हैं उन्हें इस दिन से व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
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