मुंबई। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने 40 विधायकों (40 MLAs) के साथ ऐसी बगावत की कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray’s) की मुख्यमंत्री की कुर्सी (chief minister’s chair) छोड़नी पर और महाविकास अघाड़ी की सरकार महाराष्ट्र (Maharashtra) से चली गई। इसमें 10 निर्दलीय विधायकों ने भी उनका साथ दिया। अब तक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर उन्होंने शिवसेना सुप्रीमो (Shiv Sena Supremo) को ऐसा झटका क्यों दिया। उन्होंने इतना बड़ा विद्रोह क्यों किया। शिंदे गुट के विधायकों ने कई मौकों पर इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है। इसबार सीएम शिंदे ने खुद ही बताया है कि आखिर चिंगारी कहां भड़की। इस पूरे प्रकरण का ट्रिगर प्वाइंट क्या था।
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में एकनाथ शिंदे ने कहा, ”अगर आप ट्रिगर प्वाइंट के बारे में पूछ रहे हैं तो रोजाना ट्रिगर दबाया जाता था। एक गोली चलती थी और कोई शहीद हो जाता। इन 50 लोगों ने मेरा साथ दिया।”
एकनाथ शिंदे ने कहा, ”2019 में महाराष्ट्र की जनता ने बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को वोट दिया। हमने बालासाहेब ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगाकर चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने महाविकास अघाड़ी का प्रयोग किया। उद्धव ठाकरे का यह प्रयोग हमारे बीच कई विधायकों को स्वीकार्य नहीं था, लेकिन हम बालासाहेब ठाकरे और आनंद दिघे के कार्यकर्ता हैं। हमने नेतृत्व के फैसले को स्वीकार कर लिया।’
उन्होंने आगे कहा, ”महाविकास अघाड़ी में शिवसैनिकों को प्रताड़ित किया जा रहा था। शिवसैनिकों का बहिष्कार किया जा रहा था। हमारे घटक दल हमारे अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाकर भूमि पूजन कर रहे थे। हमें लगा कि बालासाहेब की भूमिका और हिंदुत्व को दबाया जा रहा है।”
शिंदे ने आदित्य ठाकरे के आरोपों का भी दिया जवाब। उन्होंने कहा, ”50 बक्से से हमारी आलोचना करते हैं, लेकिन हम 50 लोग हैं। हमें शिवसेना में कितने साल हो गए हैं। हमने शिवसेना के लिए 25-30, 40 साल काम किया है। हमारी आलोचना करने वालों के पास कितना अनुभव? क्या उन्हें बोलने का अधिकार है?” एकनाथ शिंदे ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए यह कदम नहीं उठाया।
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