मुम्बई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections) के लिए सभी दलों ने कमर कस ली है। इस बीच महाराष्ट्र (Maharashtra) के बड़े राजनीतिक घराने (Big Political houses) में आपसी कलह थोड़ी कम हो सकती है। खबर है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) इसकी पहल करने जा रहे हैं और वह चचेरे भाई राज ठाकरे (Cousin Raj Thackeray) के साथ रिश्ते सुधार सकते हैं। इसके तहत वह राज के बेटे अमित ठाकरे (Amit Thackeray) के खिलाफ कैंडिडेट नहीं उतारेंगे। ऐसा हुआ तो ठाकरे परिवार में करीब डेढ़ दशक से छिड़ा गृह युद्ध थोड़ा धीमा पड़ सकता है। जानकारी के अनुसार अमित ठाकरे माहिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वह महाराष्ट्र नवनिर्माण विद्यार्थी सेना के अध्यक्ष हैं।
अमित ठाकरे ने बीते दिनों महाराष्ट्र के कई इलाकों का दौरा किया था और पार्टी के संगठन को खड़ा करने का प्रयास किया है। वह चुनाव में भी उतरने जा रहे हैं और उद्धव ठाकरे की शिवसेना उनके खिलाफ कैंडिडेट न उतारने की तैयारी में है। मनसे के नेताओं ने अमित ठाकरे को उतारने की मांग की है और अब आखिरी फैसला राज को ही लेना है। गुरुवार रात को इस संबंध में लंबी मीटिंग हुई। वहीं चर्चा है कि यदि अमित ठाकरे को टिकट मिला तो फिर उद्धव सेना उनके सामने कैंडिडेट नहीं देगी।
इसकी वजह यह है कि जब वरली सीट से आदित्य ठाकरे 2019 में वरली सीट से उतरे थे तो उनके खिलाफ मनसे ने भी कैंडिडेट नहीं दिया था। माना जा रहा है कि उद्धव ठाकरे अब उसके बदले में अमित के लिए भी ऐसा ही करने वाले हैं। इस तरह उनकी कोशिश है कि परिवार में छिड़े संघर्ष को कम किया जा सके। इससे काडर के बीच अच्छा संदेश जाएगा। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब पार्टी विभाजित हो चुकी है और एक बड़ा खेमा एकनाथ शिंदे के साथ अलग पार्टी के तौर पर सत्ता में है।
उद्धव सेना के एक नेता ने कहा कि जब आदित्य ने वरली से चुनाव लड़ा था तो राज काका ने भी कैंडिडेट नहीं दिया था। अब ऐसा ही उद्धव काका करेंगे। दरअसल 2019 के चुनाव में राज ठाकरे ने कहा कि यदि हमारे बच्चे चुनाव लड़ना चाहते हैं तो फिर उन्हें हमें आगे बढ़ने देना चाहिए। यदि आदित्य चुनाव लड़ना चाहते हैं तो फिर इसमें गलत क्या है। शिवसेना कार्यकर्ताओं का कहना है कि उद्धव ठाकरे इसके जरिए इमोशनल रणनीति बना रहे हैं। उन्हें लगता है कि इससे फैमिली की एकता का संदेश जाएगा और कार्यकर्ता एकजुट होंगे। खासतौर पर मुंबई की सीटों पर उद्धव सेना को इससे फायदे की उम्मीद है। यही नहीं चुनाव बाद जरूरत हुई तो मनसे के विधायक साथ भी आ सकते हैं।
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