पुणे। महाराष्ट्र(Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक के बाद एक नेता उनका साथ छोड़कर शिंदे गुट में शामिल हो रहा है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कुछ ऐसा बयान दिया है जो बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने शनिवार को कहा कि शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े के चार विधायक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ समूह में शामिल होने के लिए मेरे संपर्क में हैं। हालांकि उन्होंने चार विधायकों के नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।
नारायण राणे ने दिया उद्धव को झटका
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Union Minister Narayan Rane) शनिवार को पुणे में थे। यहां केंद्र सरकार के ‘रोज़गार मेला’ (‘job fair’) के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया। राणे ने कहा कि 56 विधायकों में उद्धव ठाकरे गुट में मुश्किल से छह से सात विधायक बचे हैं। वो भी रास्ते में हैं। चार विधायक मेरे संपर्क में हैं, लेकिन मैं उनके नाम का खुलासा नहीं करूंगा। इतना ही नहीं उन्होंने आगे उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि पूर्व सीएम की राजनीति मातोश्री तक ही सीमित रह गई है। अब शिवसेना का कोई गुट नहीं बचा है।
मोदी सरकार की तारीफ की
इस दौरान रोजगार मेले में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों को अगले डेढ़ साल में मिशन मोड पर 10 लाख लोगों की भर्ती करने के लिए कहने के लिए पीएम मोदी की सराहना की। वहीं, उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वह इस मेगा-रिक्रूटमेंट ड्राइव में राजनीति करने वालों पर बात नहीं करेंगे।
मिलिंद नार्वेकर को लेकर भी आई थी खबर
हाल ही में, शिंदे खेमे के मंत्री गुलाबराव पाटिल नार्वेकर (Minister Gulabrao Patil Narvekar) को लेकर एलान किया था। उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि चंपा सिंह के बाद अब मिलिंद नार्वेकर अपने रास्ते पर हैं। दरअसल, शिवसेना में फूट के बाद भी नार्वेकर ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से संपर्क बनाए रखा है। शिंदे गणेश उत्सव के दौरान नार्वेकर के घर भी गए थे।
लंबे से समय नार्वेकर को किया गया है दरकिनार
शिवसेना के अंदर नार्वेकर काफी शक्तिशाली माने जाते थे। टिकट बंटवारे में भी उनकी दखल थी। यहां तक कि वे उद्धव ठाकरे और फडणवीस के बीच मध्यस्थता भी करते थे। लेकिन महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) के सत्ता में आने के बाद नार्वेकर को दरकिनार कर दिया गया। भले ही वह ठाकरे की कोर टीम में बने रहे, लेकिन उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई।
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