मुंबई। शिवसेना (Shiv Sena) में ठाकरे परिवार (Thackeray family) के बाद कभी ‘नबंर दो’ की हैसियत रखने वाले एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने पार्टी के खिलाफ विद्रोह का आगाज (start of rebellion) असल में दो माह पहले ही कर दिया था। महाविकास आघाड़ी (Mahavikas Aghadi) से जुड़े सूत्रों की मानें तो शिंदे का आघाड़ी के खिलाफ मोर्चा खोलने के पीछे सबसे बड़ा कारण सीएम उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) द्वारा उन्हें नजरअंदाज किया जाना, कुछ मंत्रियों का कामकाज में दखल, आदित्य ठाकरे को ज्यादा तवज्जो और सरकार में राकांपा का बढ़ता वर्चस्व रहा है।
खुद शिवसेना के कुछ विधायकों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, शिंदे गुट के विधायकों ने कई बार, खासतौर पर कैबिनेट मंत्री व राकांपा नेता जयंत पाटिल द्वारा उनके कामकाज में दखल और परेशानी खड़ी करने की शिकायत उद्धव से की, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
ठाणे में ही शिवसेना कर रही थी कमजोर
शिंदे के शहरी विकास मंत्रालय में शिवसेना के ही दो मंत्री लगातार हस्तक्षेप कर रहे थे। आलम यह था कि वे अपने जिले, ठाणे में कोई अधिकारी तक भी नहीं बदलवा पा रहे थे। उनके विभाग से कोई भी फाइल बिना सीएम की इजाजत के आगे नहीं बढ़ने दी जा रही थी। सीएमओ से इसके साफ निर्देश विभाग सचिव को दिए गए थे। खुद को नजरअंदाज होता देख अप्रैल में शिंदे समेत खांटी मराठा विधायक लामबंद होना शुरू हुए। उन्होंने उद्धव के कार्यक्रमों का भी बहिष्कार शुरू कर दिया।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved