मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) उस समय नाराज हो गए, जब एक मीडियाकर्मी ने उनसे अलग हुए चचेरे भाइयों उद्धव (Uddhav) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) के बीच सुलह की अटकलों पर सवाल किया। उन्होंने पत्रकार से कहा कि वह सरकार के काम के बारे में बात करें। दरअसल, शनिवार को जब शिंदे सतारा जिले में अपने पैतृक गांव दारे में थे, तब टीवी मराठी के एक रिपोर्टर ने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे के बीच सुलह की चर्चा पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी। इस पर शिंदे नाराज हो गए और रिपोर्टर की बात को अनसुना कर दिया। शिवसेना नेता ने कहा, ‘काम के बारे में बात करें।’
सुलह की अटकलों की वजह क्या?
दरअसल, राज ठाकरे ने फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर के साथ एक पॉडकास्ट साक्षात्कार रिकॉर्ड किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में उन्हें कोई समस्या नहीं थी। इस साक्षात्कार को कुछ सप्ताह पहले रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन इसे शनिवार को जारी किया गया। इसके बाद से ही दोनों के बीच सुलह की चर्चा शुरू हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं? उद्धव और राज ठाकरे ने संभावित सुलह की अटकलों को उस वक्त और हवा दे दी, जब उन्होंने कहा कि वे मामूली मुद्दों को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु अलगाव के बाद हाथ मिला सकते हैं। मनसे प्रमुख ने कहा कि मराठी मानुस के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है। पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि वे मामूली झगड़े को अलग रखने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को शामिल न किया जाए।
शिवसेना यूबीटी का हाल
2022 में उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका तब लगा था, जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को तोड़कर उनकी सरकार गिरा दी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई। पिछले साल 288 सदस्यीय राज्य विधानसभा के चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) ने विपक्षी महा विकास अघाड़ी के घटक के रूप में 95 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे केवल 20 सीटें ही मिलीं।
मनसे का हाल
शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे ने जनवरी 2006 में पार्टी छोड़ दी और अपने फैसले के लिए उद्धव को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद उन्होंने मनसे की शुरुआत की, जिसने शुरू में उत्तर भारतीयों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, लेकिन 2009 के विधानसभा चुनावों में 13 सीटें जीतने के बाद मनसे हाशिये पर चली गई। 2024 के विधानसभा चुनावों में उसे एक भी सीट नहीं मिली।
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