मुम्बई (Mumbai)। महाराष्ट्र (Maharashtra) में मराठा आरक्षण (Maratha reservation) की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। मराठवाड़ा क्षेत्र में गुरुवार को मराठा आरक्षण की मांग (Maratha reservation demand) को लेकर दो लोगों ने फांसी (Two people hanged themselves) लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। छत्रपति संभाजीनगर में गुरुवार को मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करते हुए गिरीश काकासाहेब कुबेर (28) ने अपाटगांव में शाम साढ़े तीन बजे के आसपास अपने घर में फांसी लगा ली। कुबेर ने एक ब्लैकबोर्ड पर एक संदेश छोड़ा कि जब तक मराठा समुदाय (Maratha community) को नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण (Reservation jobs and education) नहीं मिल जाता, तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाए।
इससे पहले दिन में कृष्ण कल्याणकर (25) ने मराठवाड़ा क्षेत्र स्थित हिंगोली के अखाड़ा बालापुर में अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उसने सुबह अपने खेत में एक पेड़ से फांसी लगा ली। एक अधिकारी ने बताया कि कल्याणकर सुबह करीब सात बजे अपने खेत पर गया था, पुलिस को उसकी आत्महत्या के बारे में सुबह 9.30 बजे सूचना मिली। उसकी जेब से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें लिखा है कि मैं मराठा आरक्षण के कारण आत्महत्या कर रहा हूं।
इस बीच मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ता सुनील कोटकर ने अपटगांव में मराठा आरक्षण के मुखर विरोधी वकील गुणरत्न सदावर्ते की गिरफ्तारी की मांग की। पिछले कुछ महीनों में, आरक्षण की मांग के समर्थन में राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठा समुदाय के लोगों द्वारा आत्महत्या करने की कई खबरें सामने आई हैं।
जरांगे ने फिर शुरू की भूख हड़ताल
मराठा कार्यकर्ता और शिवबा संगठन के संस्थापक मनोज जरांगे पाटिल ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर एक बार फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। जरांगे (40) ने जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में बुधवार सुबह अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की।
मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र देने की मांग
इससे पहले उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार को 40 दिन का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी समय सीमा 24 अक्तूबर को समाप्त हो गई। इस कारण उन्होंने फिर से अनशन शुरू करने का निर्णय लिया। बता दें, मनोज जारांगे ने अगस्त में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था। राज्य सरकार द्वारा उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन देने के बाद 17वें दिन उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया था। जरांगे की मांग की है कि राज्यभर के मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाणपत्र दिया जाए।
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