मुंबई (Mumbai) । महाराष्ट्र (Maharashtra) के जलगांव (Jalgaon) में जिला प्रशासन ने मस्जिद (Mosque) में नवाज (Nawaz) अदा करने पर रोक (ban) लगा दी। उन्होंने इसके अस्तित्व पर किए जा रहे दावों के बीच एक अंतरिम आदेश जारी किया है। एक हिंदू संगठन पांडववाड़ा संघर्ष समिति ने दावा किया है कि मुंबई से 350 किलोमीटर दूर एरंडोल में स्थित यह संरचना एक मंदिर जैसी है। उसने स्थानीय मुस्लिम समुदाय पर इसका अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है। वहीं, मस्जिद की देखभाल करने वाली जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट समिति ने दावा किया है कि यह उनके पास कम से कम 1861 से है। इसका अस्तित्व दिखाने का रिकॉर्ड भी है।
यह विवाद अब बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में पहुंच गया है। यहां जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने जलगांव जिला कलेक्टर अमन मित्तल द्वारा 11 जुलाई को जारी किए गए प्रतिबंध आदेश के खिलाफ याचिका दायर की है। याचिका 13 जुलाई को दायर की गई थी। वकील एसएस काजी जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अदालत ने उसी दिन पहली सुनवाई की और अगले दिन दूसरी सुनवाई की। उन्होंने कहा कि अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका की एक प्रति मंदिर का दावा करने वाली समिति को भी दी जाए। अगली सुनवाई की तारीख 18 जुलाई को तय की गई है।
इसी दिन जिला कलेक्टर भी विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के साथ सुनवाई करने वाले हैं। कलेक्टर ने कहा, ”हमने अभी तक अपना अंतिम आदेश पारित नहीं किया है। पहली सुनवाई में हमने कानून और व्यवस्था के उद्देश्य से अपना अंतरिम आदेश पारित किया। 13 जुलाई को दूसरी सुनवाई दो घंटे से अधिक समय तक चली। वक्फ बोर्ड और मस्जिद ट्रस्ट के प्रतिनिधि उपस्थित थे। उनकी बात सुनी गई। हमने अब अपनी अगली सुनवाई 18 जुलाई को बुलाई है।”
हिंदू समूह 1980 के दशक से इस संरचना पर दावा करते रहे हैं। उनका कहना है कि यह पांडवों से जुड़ा है। उन्होंने इस क्षेत्र में निर्वासन में कुछ वर्ष बिताए थे। पांडववाड़ा संघर्ष समिति द्वारा 18 मई को जिला कलेक्टर को आवेदन सौंपे गए। समिति के अध्यक्ष प्रसाद मधुसूदन दांतवते ने मांग की है कि मस्जिद के अवैध निर्माण को हटा दिया जाए, यह प्राचीन स्मारक एक मंदिर जैसा दिखता है।
11 जुलाई को कलेक्टर ने अंतरिम आदेश पारित किया। मस्जिद में आम जनता के प्रवेश पर रोक लगा दी और ट्रस्टियों से मस्जिद की चाबियां जिला अधिकारियों को सौंपने के लिए कहा। हालांकि, आदेश में दो व्यक्तियों को हर दिन प्रार्थना करने की अनुमति दी गई है। कलेक्टर ने कहा, “मस्जिद की चाबियां तहसीलदार द्वारा ले ली गई हैं। हालांकि, जो दो व्यक्ति नमाज अदा करना चाहते हैं वे वहां मौजूद सरकारी कर्मियों से चाबियां ले सकते हैं।”
अदालत के समक्ष दायर अपनी याचिका में जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष अल्ताफ खान ने कहा है, ”विद्वान कलेक्टर याचिकाकर्ता से कुछ भी सुनने के मूड में नहीं थे। 11 जुलाई 2023 को याचिकाकर्ता को कोई अवसर दिए बिना उन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 और 145 के तहत एक आदेश पारित किया।” महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने भी कलेक्टर के आदेश पर आपत्ति जताई है।
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