मुंबई। हरियाणा में दूध के जले राहुल गांधी महाराष्ट्र (Maharashtra Assembly Elections) में छांछ भी फूंक-फूंक कर पी रहे हैं. उन्होंने महाराष्ट्र की कांग्रेस इकाई से कहा है कि ओवरकॉन्फिडेंस में न रहें, बाकी सहयोगियों के साथ मिलकर सीट शेयरिंग (Seat Sharing) पर काम करें. हालांकि, कांग्रेस अभी इस बात पर बिल्कुल मन नहीं बना पाई है कि चुनाव उद्धव ठाकरे के चेहरे पर लड़ा जाए. इसलिए ही यहां तक कह दिया गया है कि चुनाव में MVA का कोई चेहरा नहीं होगा.पर क्या समस्या को देखकर आंख मूंदने से समाधान हो जाएगा. पहली बात तो यह है कि उद्धव ठाकरे को सीएम घोषित न करके कहीं कांग्रेस गलती तो नहीं कर रही है?
क्योंकि जिस तरह महायुति की एक पीसी में बुधवार को बीजेपी नेता और प्रदेश के डिप्टी सीएम ने देवेंद्र फडणवीस ने अपना नेता मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मान लिया है क्या उससे महायुति को माइलेज नहीं मिल जाएगा. जाहिर है कि अगर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महायुति विधानसभा चुनाव लड़ती है तो उसका मुकाबला उद्धव ठाकरे ही शायद सबसे बेहतर कर सकेंगे. दूसरी बात यह भी है क्या उद्धव ठाकरे इतनी आसानी से हार मानने वाले हैं? चुनाव समाप्त होने के बाद अगर एमवीए को अधिक सीट मिलती है तो वैसे भी सीए्म से कम वो किसी भी बात पर राजी नहीं होने वाले हैं. इसके पहले अपना रूप वो 2019 में ही दिखा चुके हैं.
महायुति में सीट शेयरिंग पर फंसा पेच, कितनी सीटें मांग रही BJP?
महाराष्ट्र में, इंडिया गठबंधन के लिए सबसे पहली चुनौती महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बनाना है. एमवीए के तीन घटक – कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (एसपी) मिलकर भाजपा-शिवसेना-एनसीपी सरकार को सत्ता से बाहर करने की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि लोकसभा चुनावों में गठबंधन ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया था. चूंकि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था इससिए विधानसभा चुनावों में उसकी नजर अधिक सीटों पर है.
एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) भी सौदेबाजी करने के मूड में हैं. दूसरी ओर हरियाणा और जम्मू विधानसभा चुनावों के परिणामों ने कांग्रेस के कॉन्फिडेस को हिला कर रख दिया है. यही कारण है कि कांग्रेस शायद अभी सौदेबाजी के मूड में नहीं है.
कांग्रेस के नेताओं का तर्क है कि एमवीए में केवल वही पार्टी है जिसकी पूरे महाराष्ट्र में उपस्थिति है और इसलिए उसे विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक सीटों पर लड़ने का मौका मिलना चाहिए. कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन द्वारा जीती गई 30 सीटों में से 17 सीटों पर चुनाव लड़कर 13 सीटें जीत ली थीं. शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) ने क्रमशः 9 और 8 सीटें जीतने में सफल रहीं. इस हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस को सबसे अधिक सीटें मिलनी ही चाहिए.
बुधवार को बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने बिना किसी लाग लपेट के आगामी महाराष्ट्र चुनावों के लिए महायुति गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में एकनाथ शिंदे के नाम का इशारा कर दिया.उन्होंने शिंदे और अजीत पवार की मौजूदगी में सरकार के कामकाज की रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा कि हमारा मुख्यमंत्री यहां बैठा है.महायुति ने शिंदे के नाम को आगे बढ़ाकर बढ़त बना ली है.
एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार को चुनौती देते हुए फडणवीस ने कहा, हमें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं है, हमारा मुख्यमंत्री यहां बैठा है. उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित नहीं कर रही है क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि उनके मुख्यमंत्री चुनावों के बाद आ सकते हैं. फडणवीस ने एक तरीके से शरद पवार चैलेंज किया कि वे अपना चेहरा घोषित करें.
हालांकि महाराष्ट्र में सीएम कैंडिडेट कौन होगा इसका अधिकार फडणवीस के पास नहीं है. मोदी और शाह युग में बीजेपी में कोई नहीं जानता है कि किसी पद पर किसकी ताजपोशी होने वाली है . पर फडणवीस का यह कदम कम से कम महायुति के सहयोगियों को नाराज न करने की एक रणनीति तो है ही. यह भी किसी से छिपा नहीं है कि फडणवीस और अजीत पवार दोनों ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखते हैं.
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