मुंबई। महाराष्ट्र विधानमंडल का दो दिवसीय मानसून अधिवेशन (Two-day monsoon session of the Maharashtra Legislature) सोमवार को हंगामे के साथ शुरू हुआ। इससे पहले मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव जल्द करवाने, स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण, महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) परीक्षा के लिए समिति गठित करने, मराठा आरक्षण समेत कई मुद्दों पर जमकर प्रदर्शन किया। भाजपा विधायकों ने विधानभवन की सीढ़ियों पर बैठकर भी प्रदर्शन किया। इसके कारण सदन की कार्यवाही में आधा घंटा विलंब से दाखिल हुए।
विधानसभा में दाखिल होने के बाद भी भाजपा सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। हंगामा बढ़ता देख सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद अध्यक्ष के कार्यालय में विपक्षी सदस्यों की बैठक हुई। इस दौरान भाजपा के विधायक विधानसभा के कार्यकारी अध्यक्ष भास्कर जाधव के समक्ष सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों से भिड़ गए। मामला बढ़ता देख मौके पर मार्शल को बुलाना पड़ा। सत्तापक्ष का आरोप है कि इस दौरान भाजपा सदस्यों ने कार्यकारी अध्यक्ष भास्कर जाधव के साथ धक्का-मुक्की और गाली-गलौच की। सदन की कार्यवाही फिर शुरू होने पर भास्कर जाधव ने भाजपा सदस्यों के अमर्यादित व्यवहार पर नाराजगी जताई। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने भाजपा के 12 सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया, जो बहुमत से पारित हो गया।
इस कार्रवाई को नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने लोकतंत्र की हत्या बताया है। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष ने बहुमत का दुरुपयोग कर भाजपा का संख्याबल कम करने का प्रयास किया है। इतना कहने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने सभी सदस्यों के साथ सदन का बहिर्गमन किया। निलंबित होने वाले भाजपा सदस्यों में संजय कुटे, गिरीश महाजन, अभिमन्यू पवार, अतुल भातखलकर, आशीष शेलार, पराग अलवणी, जयकुमार गोरे, योगेश सागर, हरीश पिंगले, नारायण कुचे, राम सातपुते और किर्ती कुमार शामिल हैं।
नेता प्रतिपक्ष फडणवीस ने कहा कि सदन और विधानसभा परिसर में आज जो हुआ, वह इससे पहले भी हो चुका है लेकिन आज राज्य सरकार ने भाजपा सदस्यों की संख्याबल कम करने के लिए निलंबित की यह कार्रवाई की है। इसका भाजपा विरोध करती है और सदन से बहिर्गमन कर रही है।
उधर, भाजपा के 12 निलंबित विधायक शाम को राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मिले। इन विधायकों ने राज्य सरकार पर सभी 12 विधायकों को जबरन निलंबित किए जाने का आरोप लगाया है। निलंबित विधायकों ने राज्यपाल से न्याय की गुहार लगाई है।
आरक्षण पर 50 फीसद की सीमा हटाने को संविधान संशोधन का आग्रह
विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित जाति आधारित आरक्षणों पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन लाने की केंद्र सरकार से अपील की। इस सीमा के कारण मराठा समेत सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को आरक्षण देने में बाधा आ रही है।
पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण ने मॉनसून सत्र के पहले दिन विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि जाति आधारित आरक्षणों पर लागू 50 प्रतिशत की सीमा में छूट के बिना, सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता। चव्हाण ने जब यह प्रस्ताव पेश किया तब भाजपा के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। मराठा समुदाय के सदस्य महाराष्ट्र भर में एसईबीसी आरक्षण बहाल करने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय को प्रवेश एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के महाराष्ट्र सरकार के 2018 के कानून को इस साल पांच मई को निरस्त कर दिया था। एसईबीसी के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण कानून, 2018 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह 1992 में उसके द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले के तहत लागू 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। (एजेंसी, हि.स.)
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