भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ राजगढ़ को जीतने के लिए भाजपा ने इस बार विशेष रणनीति बनाई है। इसके तहत शनिवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राघोगढ़ पहुंचेे। यह पहली बार है जब सीएम और सिंधिया एक साथ दिग्विजय के गढ़ में पहुंचे। उन्होंने यहां आयोजित लाडली बहना सम्मेलन में भाग लिया और राजगढ़ को जीतने का ऐलान किया। इससे पहले सिंधिया ने केवल एक बार राघोगढ़ में सभा ली थी। वहीं सीएम भी 2018 के बाद अब राघोगढ़ पहुंचे। राजनैतिक जानकारों का कहना है कि यह कार्यक्रम विधायक जयवर्धन सिंह को सीमित करने के लिए रखा गया है, जिससे वह प्रदेश के अन्य जिलों में सक्रियता कम कर अपनी विधानसभा पर ज्यादा समय दें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, इस 15 अगस्त तक 1 लाख सरकारी भर्तियां पूरी कर दी जाएंगी। इसके बाद फिर 50 हजार नई सरकारी भर्तियां की जाएंगी। सीएम शिवराज ने स्पीच की शुरुआत में महिलाओं से माफी मांगी। कहा- कुछ महिलाएं खड़ी हैं, उनके लिए बैठने की जगह कम पड़ गई। उनसे माफी मांगता हूं। जो बेटा-बेटी पढ़ाई में अच्छा होगा, चाहे गरीब हो या अमीर, उसकी हायर एजुकेशन (इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ) की फीस सरकार भरवाएगी। यहां से जो मुख्यमंत्री दिग्विजय थे, उन्होंने क्या किया? कमलनाथ ने क्या किया? सारी योजनाएं एक-एक कर बंद कर दीं। कांग्रेस ने तो तीर्थ यात्रा तक बंद कर दी थी। अब मामा हवाई जहाज से तीर्थ ले जा रहा हूं। सिंधिया ने मुख्यमंत्री को मध्यप्रदेश का गौरव बताया। कहा, लाड़ली बहना से कांग्रेस में खुजलाहट है। इसीलिए कमलनाथ ने 1500 रु. का ऐलान कर दिया। शिवराज जी 3 हजार रुपए देंगे। सिंधिया ने कहा, गरीबों के लिए यहां मोनोपॉली चलाई जाती है। शिवराज सिंह चौहान की राघोगढ़ में उपस्थिति नए परिवर्तन का आगाज है। यहां के विकास की प्रगति की चिंता नहीं, लेकिन दूसरे प्रदेशों और दूसरे देशों तक की चिंता यहां से की जाती है। सिंधिया बोले, दस दिन पहले एक व्यक्ति मिला। उसने मुझे पंक्ति सुनाई- एक थी बाप-बेटे की जोड़ी निराली, कर दी उन्होंने मिलकर मध्यप्रदेश की जनता की झोली खाली। रावण जैसा अहंकार रहता सिर पर सवार, न उठे अपनी ऊंची गद्दी से एक इंच भी, नाम है उनका बंटाधार। सिंधिया ने कहा, शिवराज सिंह जी, राघोगढ़ को आपकी उपस्थिति की बहुत जरूरत है। 1977 से एक ही परिवार इस क्षेत्र पर अपनी चक्की पीस रहा है। यहां विकास की उल्टी गंगा चल रही है। सड़कों-बिजली की किल्लत है।
2021 में पार हुई थी लक्ष्मण रेखा
बता दें कि कांग्रेस में रहते हुए दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच गुना जिले में एक लक्ष्मण रेखा खिंची हुई थी। उस समय यह मुहावरा प्रचलित था कि- चौपेट के इस पर सिंधिया, उस पर दिग्विजय। दोनों ही इस लक्ष्मण रेखा पर अमल भी करते थे। लेकिन, सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद यह लक्ष्मण रेखा टूट गयी। 2021 के नवंबर महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार राघोगढ़ में सभा ली। इससे पहले 2020 के उपचुनाव में सिंधिया के इलाके में दिग्विजय सिंह ने भी एंट्री करते हुए चुनावी सभाएं लीं। उस समय उन्होंने किले को बड़ा झटका देते हुए दिग्विजय सिंह के राइट हैंड माने जाने वाले हीरेन्द्र सिंह को भाजपा में शामिल करा लिया था।
राघोगढ़ में चुनौती देने का प्रयास!
राजनैतिक जानकारों के अनुसार सीएम और महाराज का यह दौरा दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह को राघोगढ़ में ही सीमित करने का प्रयास है। इस समय दिग्विजय सिंह पूरे प्रदेश में दौरा कर रहे हैं। वह उन सीटों पर फोकस कर रहे हैं, जहां कांग्रेस लंबे समय से चुनाव नहीं जीती है। वहीं विधायक जयवर्धन सिंह भी लगातार कई जिलों का दौरा कर रहे हैं। वह ग्वालियर-चम्बल संभाग पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। यहां उन्होने 21 जुलाई को प्रियंका गांधी के प्रस्तावित कार्यक्रम की तैयारियों का जायजा लिया। दो दिन पहले ही जयवर्धन सिंह भी इसी कार्यक्रम की तैयारियों के लिए ग्वालियर पहुंचे थे। इसलिए या संभावना जताई जा रही है कि इन्हें केवल राघोगढ़ तक सीमित करने के लिए यह कार्यक्रम बनाया गया है। बता दें कि भाजपा अभी तक राघोगढ़ में विजय पताका नहीं फहरा पाई है। खुद शिवराज सिंह चौहान भी 2003 में यहां चुनाव लड़े थे और उन्हें हर का सामना करना पड़ा था। अभी तक राघोगढ़ में भाजपा ज्यादा चुनौती नहीं देती थी। पिछले 3 चुनावों में भाजपा ने ऐसे प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे, जो किले की टक्कर में कहीं नहीं दिखते थे। यह भी कहा जाता था कि भाजपा जान-बूझकर कमजोर प्रत्याशी मैदान में उतारती है। लेकिन, इस बार परिस्थितियां अलग हैं। पिछले दो वर्षों में गंगा में काफी पानी बह चुका है। किले के राइट हैंड माने जाने वाले हीरेन्द्र सिंह अब भाजपा के साथ हैं। सिंधिया समर्थक और पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया राघोगढ़ के कई दौरे कर चुके हैं। ऐसे में यह चर्चा है कि जयवर्धन सिंह को इस बार ज्यादा मेहनत करनी होगी। हालांकि, जनवरी में हुए राघोगढ़ नगरपालिका चुनाव में भी भाजपा ने वहां काफी मेहनत की थी, लेकिन परिणाम उसके हिसाब से नहीं आ पाए थे।
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