2023 में प्रदेश में सत्ता की चाबी पाने बीजेपी और कांग्रेस महाकौशल और विंध्य से ही अपना श्रीगणेश करना चाहती है । कांग्रेस ने जहां आधिकारिक तौर पर अपने चुनावी अभियान का शंखनाद प्रियंका गांधी के जबलपुर दौरे के साथ कर दिया है तो वहीं भाजपा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शहडोल आगमन के साथ चुनावी बिगुल बजाने जा रही है।
आदिवासी शरणम गच्छामि,,,, के तर्ज पर बीजेपी कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव का चुनावी आगाड कर दिया है । अलग-अलग प्रमुख अंचलों में से महाकौशल और विंध्य पर दोनों ही पार्टियों ने अपना फोकस बडाया है । यही वजह है कि भाजपा समेत कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों के कद्दावर नेताओं के दौरे महाकौशल से होकर ही प्रदेश में शुरू हो रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के जबलपुर दौरे से अपना चुनावी शंखनाद कर दिया तो वही भाजपा ने रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के मौके पर 22 जून से शुरू की गौरव यात्रा से आदिवासी अंचल पर अपना प्रभाव बडाना शुरू कर दिया है। रानी दुर्गावती गौरव यात्रा का शुभारंभ जहां बालाघाट जिले से किया गया तो वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून को शहडोल में इसका समापन करने जा रहे हैं। खास बात यह है कि भाजपा की चुनावी स्ट्रेटजी का आंकलन इस बात से ही लगाया जा सकता है कि रानी दुर्गावती गौरव यात्रा का जो रूट तय किया गया उससे सभी आदिवासी सीटों को साधने की कोशिश महाकौशल और विंध्य में की जा रही है। रानी दुर्गावती गौरव यात्रा 5 अंचलो से होकर शहडोल पहुंच रही है । इनमें बालाघाट से शहडोल ,छिंदवाडा से शहडोल ,संग्रामपुर से शहडोल, कलिंजर फोर्ट से शहडोल और धौहनी ,सीधी से शहडोल तक इस यात्रा के रूट मैप को तय किया गया है।
पूरे मध्यप्रदेश की बात की जाए तो 230 विधानसभा सीटों में से आधिकारिक तौर पर 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं लेकिन 84 सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी वोटर जीत या हार तय करते हैं। 2018 में इन्हीं 84 सीटों में से आधे से भी कम सिर्फ 34 सीटों पर ही बीजेपी ने जीत हासिल की थी जबकि 2013 में उनका यह आंकडा 59 सीटों का था । लाजमी है इस आंकडो को देखकर बीजेपी ने सबसे बडा फोकस महाकौशल और विंध्य पर ही बडाया है।
जानकारो के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,अमित शाह या बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं का विशेष फोकस महाकौशल और विंध्य पर इस वजह से भी है कि मौजूदा सरकार में इन दोनों ही अंचलों से कोई ठोस नेतृत्व मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल में फिलहाल नहीं है ,,,जबकि कांग्रेस ने इस अंचल से कई कैबिनेट मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाडा से आते थे ,,,लेकिन सत्ता बदलने के बाद बीजेपी के लिए एक मंत्री को छोड दें तो कोई बडा चेहरा कैबिनेट में भी अपनी जगह नहीं बना सका । इस बात को लेकर कांग्रेस जहां इसे मुद्दा बनाती आ रही है । विंध्य की भी बात कर ले तो 30 विधानसभा सीटों वाले इस अंचल में बीजेपी को 26 सीटें मिली थी और सबसे बेहतर प्रदर्शन 2018 की विधानसभा चुनाव में मिला था बावजूद इसके इस अंचल से भी कोई मंत्री मौजूदा सरकार में नहीं बन सका है।
वहीं कांग्रेस बीजेपी के बडे नेताओं के महाकौशल और विंध्य दौरे पर निशाना साध रही है ,,,,उसका कहना है कि आदिवासी पहले से ही कांग्रेस को ही अपना जन हितैषी मान चुकी हैं । यही वजह है कि भ्रम फैलाने बीजेपी कोई कमी नहीं छोड रही ,,,,,अब जब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो बीजेपी वह तमाम हथकंडे अपना रही है कि आदिवासी समुदाय को कैसे भी करके अपने साथ जोडा जा सके ,,,,,,लेकिन इसका फायदा उसे नहीं मिलने वाला। आदिवासियों के प्रति भाजपा का कितना प्रेम है इस बात का अंदाजा पूरे देश की जनता ने संसद भवन के उद्घाटन से लगा चुकी है ,,,,,,जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित तक नहीं किया गया। ना बीजेपी के प्राथमिकता में आदिवासी है और ना ही दलित है,, यह दोनों ही वर्ग बीजेपी के लिए सिर्फ चुनावी हथकंडा बनकर रह गए हैं।
लखन घनघोरिया, पूर्व कैबिनेट मंत्री
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