• img-fluid

    तीन पीढिय़ों से उठा रहे हैं कहार महाकाल की पालकी..

  • July 31, 2023

    • यह एक चमत्कार है कि खाली पालकी हलकी होती है लेकिन जैसे ही बाबा महाकाल विराजते हैं पालकी भारी हो जाती है-हर कोई नहीं उठा सकता

    उज्जैन। प्रतिवर्ष बाबा महाकाल की निकलने वाली सवारियों में महाकाल की पालकी को शुरू से ही कहार समाज के लोग उठाते चले आए हैं। 100 वर्ष से अधिक समय हो गया वर्तमान में महाकाल की पालकी को उठाने वाले तीसरी पीढ़ी के कहार हैं। जो पालकी उठाने की सेवा कर रहे हैं। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर से वर्षों में निकलने वाली सभी सवारियों में कहार समाज के लोग बाबा की पालकी को कंधों पर उठाते हुए आए हैं। 100 वर्षों से अधिक हो गया है कहार समाज बाबा महाकाल की पालकी की सेवा करता आया है। वर्तमान में पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी ने बताया कि बाबा महाकाल की सभी सवारियों में कहार समाज के व्यक्ति ही महाकाल बाबा की पालकी उठाते हैं। यह इनकी तीसरी पीढ़ी है, पहले इनके दादा जी फिर इनके पिता जी अब स्वयं बाबा महाकाल की सेवा में वर्षों से पालकी उठाने की सेवा करते आए हैं। वर्षों पहले इनके दादाजी के समय में बाबा महाकाल पालकी लकड़ी की हुआ करती थी। उस समय पालकी उठाने के लिए 25 व्यक्ति हुआ करते थे। मंदिर की तरफ से एक नारियल पतासे की स्वरूप में दिए जाते थे। मेरे दादाजी के निधन के बाद मेरे पिताजी ने पालकी उठाने की सेवा की उनके बाद से मैं तीसरी पीढ़ी हूँ जो लगातार 25 वर्षों से अधिक हो चुके हैं मुझे, अब बाबा महाकाल की पालकी की सेवा कर रहा हूँ। सन् 2000 से 2010 तक चांदी की पालकी उठाने के लिए 50 व्यक्ति होते थे क्योंकि पालकी लोहे के स्ट्रक्चर और लकड़ी के ऊपर चांदी की परत से बनी होती थी, जिससे पालकी का वजन कम रहता था। सन् 2010 से यह तीसरी पालकी है। यह वाली पालकी भारी रहती हैं इस पालकी में लोहे का स्ट्रक्चर स्टील और चांदी लकड़ी से बनी होती है इसलिए पालकी भारी हो जाती है, अब पालकी उठाने के लिए 80 व्यक्ति लगाने पड़ते हैं। महाकाल मंदिर की तरफ से पालकी अध्यक्ष हेमराज कहार है। पालकी में पालकी की प्रमुख प्रशांत चंदेरी, जितेंद्र कहार, किशन कहार, दीपक कहार, गिरीश कहार आदि पालकी मैं बाकी अन्य कहार समाज के पालकी उठाने में रहते हैं। पालकी प्रमुख प्रशांत चंदेरी बताते हैं कि महाकाल बाबा की पालकी किसी चमत्कार से कम नहीं है। जब बाबा महाकाल की पूजन अर्चन होती हैं और उसके बाद पालकी में विराजते हैं, उससे पहले पालकी का वजन कम होता है जैसे ही पूजन अर्चन होने के बाद जब पालकी उठाते हैं तो पालकी का वजन अचानक बढ़ जाता है, ऐसा लगता है की पालकी में बाबा विराजमान हो गए हैं जिससे पालकी भारी हो जाती है।


    वापस लौटने तक कुल 6 पाइंट तय किए
    शनिवार को महाकाल मंदिर की बैठक में पालकी को उठाने के लेकर बात रखी थी जिसमें सवारी मार्ग पर पालकी के उठाने वाले कहारों को अलग-अलग जगहों पर पालकी उठाने वाले व्यक्तियों को बारी बारी बदले जाएँगे। पालकी उठाने से मंदिर पहुँचाने तक 6 पाइंट तय किए गए हैं। महाकाल मंदिर पूजन स्थल से महाकाल मंदिर गेट, गुदरी चौराहे, रामघाट, कार्तिक चौक, गोपाल मंदिर, महाकाल चौराहे, मंदिर के अंदर तक।

    25 वर्षों से ये लोग भी सेवा
    राजू कहार, दीपक कहार, गिरीश कहार, अर्जुन कहार, संजू कहार, जगदीश कहार, राहुल कहार, मनोज कहार, जगदीश कहार, दिनेश कहार, तेजा कहार, बबला कहार, रवि कहार, आशीष कहार, गोलू कहार, छोट महेश कहार, मुकेश कहार, राहुल कहार, बड़ा महेश कहार।

    Share:

    भैरवगढ़ क्षेत्र का लाल पानी शिप्रा में मिलता है और उससे 250 गाँवों में खेती होती है..इससे होती है कई बीमारियाँ

    Mon Jul 31 , 2023
    उद्गम स्थल से पूरी शिप्रा की परिक्रमा की-विक्रम के छात्रों ने 280 किमी भ्रमण किया-शिप्रा के आसपास घने जंगल नहीं उज्जैन। एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उज्जैन सहित इंदौर, देवास, रतलाम कलेक्टरों से शिप्रा नदी की ताजा सर्वे रिपोर्ट माँगी और है कहा कि में उपलब्ध जल […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    शुक्रवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved