उज्जैन। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे का पकड़ाना योजनाबद्ध हो या संयोग…इस मामले ने उज्जैन पुलिस,जिला प्रशासन और महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की मुश्किलें बढ़ा दी है। सूत्रों का दावा है कि जो याचिका विकास दुबे को लेकर लगी है, उसमें यदि ये साक्ष्य मांग लिए गए, तब पुलिस-प्रशासन-मंदिर समिति को यह बताना मुश्किल हो जाएगा कि विकास दुबे परिसर में अकेला कैसे घुमता रहा और दर्शन कैसे कर आया? निगर्म द्वार पर पहुंचने के बाद उसे पूछताछ के लिए वापस अंदर किस आधार पर लाया गया?
सूत्रों के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने बुधवार रात्रि से गुरूवार दोपहर तक के सीसीटीवी फुटेज हार्ड डिस्क से हटा दिए हैं। इन फुटेजों को जिला पुलिस द्वारा मंदिर प्रबंध समिति से मांगा गया है। हालांकि कोई भी अधिकारी इस समय मीडिया के समक्ष आकर अपनी बात नहीं रख रहा है। बावजूद इसके विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उसका उज्जैन तक आना, महाकालेश्वर मंदिर जाना, दर्शन करके लौटना,इस बीच मंदिर के निजी सुरक्षाकर्मी द्वारा पकडऩा (या जैसी चर्चा है कि उसने स्वयं का परिचय दिया ताकि सरेण्डर हो जाए)से लेकर पुलिस अभिरक्षा में उसे गुना बार्डर के आगे बायपास तक छोड़कर आना अनेक प्रश्नों को जन्म दे रहा है।
सूत्रों के अनुसार विकास को रवाना करने के बाद उज्जैन जिला पुलिस ने राहत की सांस ली थी। मध्यप्रदेश की बार्डर के पास सुरक्षित उसे सोपने के बाद अधिकारियों ने मान लिया था कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। हालांकि यह जनचर्चा सतत रही कि विकास का रास्ते में एनकाउंटर हो सकता है और यह हो भी गया।