उज्जैन। कोरोना के कारण लगभग 12 महीने होटल सहित अन्य व्यवसाय ठप्प रहे लेकिन इस बार के सावन-भादौ महीने में महाकाल के आसपास बनी सैकड़ों छोटी बड़ी होटलों के संचालकों ने यह घाटा कवर कर लिया और दो महीने में ही सालभर की कमाई कर डाली।
कोरोना की पहली लहर आने के बाद से शुरुआत के 6 महीने सभी व्यवसाय पूरी तरह बंद रहे थे। महाकाल मंदिर में भी भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित रहा था। इन्हीं कारणों के चलते होटलों और पर्यटन का व्यवसाय पूरी तरह चौपट हो गया था। पहली लहर के अनलॉक के बाद भी यात्री अधिक नहीं आ रहे थे और लगभग एक साल ऐसे ही बीता था। इधर दूसरी लहर के बाद जब सावन और भादौ मास में मामले कम हुए थे तो महाकाल में भी भक्तों की भीड़ उमडऩे लगी। सीमित दायरे के बाद भी सावन भादौ मास में करीब 30 से 40 हजार श्रद्धालुओं ने रोज महाकाल दर्शन करे। सवारी के दो दिन पहले से ही महाकाल के आसपास की सारी होटलें, धर्मशालाएँ बुक हो रही थी। लोग एक कमरे के लिए मुँह मांगे दाम देने को राजी थे। लंबे समय से घाटा उठा रहे होटल मालिकों को भी ऐसे ही मौके की तलाश थी। पिछले दो महीनों में सभी ने यात्रियों से खूब कमाया और पिछले एक साल का घाटा दो महीने में ही पूरा कर लिया।
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