उज्जैन। हर वर्ष देश विदेश से लाखों भक्त महाकाल मंदिर में दर्शन करने आते हैं लेकिन शायद ही उनको यह जानकारी होगी कि महाकाल मंदिर की स्वयं की करोड़ों रुपए की भूमि है और यह जमीन करीब 80 हैक्टेयर होती है जो कि पूरे प्रदेश में फैली है। उक्त भूमि से हर वर्ष करोड़ों रुपए की आय मंदिर समिति को होती है जो सीधे खाते में जमा होती है।
महाकाल मंदिर की उज्जैन जिले में सबसे अधिक भूमि है जिसमें कस्बा उज्जैन में 0.627, बमोरा में 11.05, नईखेड़ी में 3.030 हेक्टेयर, लेकोड़ा, नागदा में 4. 860, पिपलौदा सागोती 2.700, जलोदिया जागीर 1.230, निमनवासा 9.040, मंगरोला 5.200, चिंतामण जवासिया 7.40 हेक्टेयर जमीन है, इस प्रकार कुल 50 हेक्टेयर से अधिक उज्जैन जिले में महाकाल मंदिर की भूमि है। इसके अलावा राला मंडल देवास में 10.600 हेक्टेयर, सोंसर टोंकखुर्द देवास में 0.890, कराडिय़ा देवास में 5.290, जामोदी सांवेर में 5.794, धतरावदा, जीरापुर राजगढ़ में 2.81, बलेरिया सांवेर में 3.792 इस प्रकार कुल 30 हेक्टेयर के करीब भूमि उज्जैन जिले के अलावा अन्य जिलों में भी है। मतलब कुल मिलाकर महाकाल मंदिर की 80 हेक्टेयर से अधिक भूमि है जिसकी आय हर साल महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के खाते में आती है जो करोड़ों में रहती है। प्राचीन समय से यह जमीनें महकाल मंदिर को दान में दी गई थीं और इसका पूरा लेखा जोखा मंदिर समिति द्वारा कम्प्यूटर में दर्ज किया गया है। इस जमीन पर मंदिर समिति द्वारा खेती और अन्य कार्य कराए जाते हैं जिससे समिति को हर वर्ष करोड़ों रुपए की आय प्राप्त होती है। सभी जगहों की राशि सीधे मंदिर समिति के खाते में जमा हो जाती है लेकिन अब दान में सोना-चाँदी अधिक आ रहा है और जमीन कम।a
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