डेस्क। श्रावण मास में भगवान शिव की तमाम तरह से साधना की जाती है. साथ ही विभिन्न प्रकार के शिवलिंग को अलग–अलग कामनाओं के हिसाब से पूजा जाता है. शिवलिंग की विधि–विधान से पूजा करने पर न सिर्फ भगवान शिव का बल्कि अन्य देवी देवताओं की पूजा का फल उसी क्षण मिल जाता है.
पौराणिक मान्यता के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा,मध्य में भगवान श्रीविष्णु और ऊपरी भाग में स्वयं महादेव विराजमान रहते हैं. शिवलिंग की वेदी को महादेवी माना जाता है, जो कि सत,रज और तम यानि तीनों गुणों से तथा त्रिदेवों से युक्त रहती हैं.
शिवलिंग पूजा का फल
भगवान शिव के साधक अक्सर अपनी श्रद्धा, भावना और मनोकामना के अनुसार शिवलिंग बनाकर पूजा करते रहे हैं. कोई घी का तो कोई फूलों का तो कोई बर्फ के शिवलिंग को पूजता हुआ दिखाई देता है. शिवलिंग की पूजा में प्रयोग की जाने वाली चीजों का भी अपना अलग महत्व है. जैसे शिवलिंग पर गंगा जल से अभिषेक करने पर जहां सुख–सौभाग्य की प्राप्ति होती है, वहीं दूध से अभिषेक करने पर स्वस्थ, सुंदर और गुणी संतान की प्राप्ति होती है. शिव की पूजा में गन्ने के रस से यश और कीर्ति का आशीर्वाद मिलता है, जबकि शहद से पूजा करने पर जीवन से जुड़े तमाम तरह के कर्ज दूर होते हैं.
चमत्कारी है पारद शिवलिंग
भगवान शंकर को पारा बहुत प्रिय है. पारद शिवलिंग की पूजा करने से शीघ्र ही शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वरदान दे देते हैं. पारद शिवलिंग पारद और चांदी के मिश्रण से बना होता है. शास्त्रों में पारद शिवलिंग की पूजा का बहुत महत्व बताया गया है. मान्यता है कि पारद शिवलिंग का जहां पूजन होता है, वहां भगवान शिव साक्षात् विराजमान रहते हैं.
मान्यता है कि एक पारद शिवलिंग को पूजने मात्र से सहस्त्र शिवलिंगों के पूजन का फल मिल जाता है. पारद शिवलिंग को पूजने से न सिर्फ भगवान शिव एवं माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि तमाम तरह के ग्रह–दोष, पाप आदि भी दूर होते हैं. मान्यता है कि लंकापति रावण ने भी पारद शिवलिंग की पूजा से भगवान शिव को प्रसन्न कर अनेक दिव्य शक्तियों को अर्जित किया था. पारद शिवलिंग की पूजा, अभिषेक एवं दर्शन करने से व्यक्ति को सभी तरह के लौकिक तथा परलौकिक सुख प्राप्त होते हैं.
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