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    ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग में शयन के लिए जाते हैं महादेव, इससे जुड़े ये खास रहस्य नहीं जानते होंगे आप?

  • August 10, 2022

    नई दिल्‍ली। 12 ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar) में ओंकारेश्वर महादेव(Shiva) का चौथा ज्योतिर्लिंग है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग(Omkareshwar Jyotirlinga) की महीमा इतनी निराली है कि सावन (sawan 2022) में इनका नाम जपने से सभी दूख दूर हो जाते हैं. शिव पुराण में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग के नाम से भी जाना जाता है. शिव का ये धाम मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर शहर के पास स्थित है. आइए जानते हैं भोलेनाथ के इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक बातें और कथा.

    ओंकारेश्वर मंदिर के रहस्य
    पहाड़ों पर बसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के चारों ओर नर्मदा और कावेरी(Narmada and Kaveri) बहती है. ये ज्योतिर्लिंग औंकार यानी की ओम का आकार लिए हुए है. इसी वजह से इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर नाम से पुकारा जाता है.


    ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दो भागों में बंटा है. यहां ओंकारेश्वर और ममलेश्वर रूप में महादेव का पूजन होता है. धार्मिक मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं.

    मान्यता है कि शिव-पार्वती (Shiva-Parvati) यहां रोज चौसर पांसे खेलते हैं. शयन आरती के बाद मंदिर के पुजारी प्रतिदिन चौसर पांसे की बिसात लगाते हैं और फिर पट बंद कर दिए जाते हैं. इसके बाद गर्भगृह में किसी के भी जाने की मनाही होती है. कहते हैं कि सुबह ये पांसे उल्टे मिलते हैं. ये रहस्य (Mystery) कोई सुलझा नहीं पाया.

    इस राजा के कहने पर यहां विराजमान हुए शिव
    ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जिस पर्वत पर बसा है उसे मांधाता और शिवपुरी पर्वत के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार यहां राजा मांधाता ने इसी पर्वत पर कठोर तपस्या कर भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. परिणाम स्वरूप राजा मंधाता के कहने पर भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए. तब से ये पर्वत मंधाता पर्वत कहलाने लगा.

    कुबेर ने की थी यहां शिव की पूजा
    पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार धन के देवता कुबेर ने यहां शिवलिंग स्थापित कर महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था. भोलेनाथ कुबेरी के तपस्या से खुश हुए और उन्होंने कुबेर को धन का देवता बना दिया. यहीं शिव शंभू ने कुबेर के स्नान के लिए अपनी जटाओं से कावेरी नदी को उत्पन्न किया था. यहां कावेरी और नर्मदा नदी का संगम मिलता है. इस संगम पर धनतेरस पर विशेष पूजा (special worship) अर्चना की जाती है.

    नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं. इन्‍हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले.

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