नई दिल्ली. प्रयागराज महाकुंभ (Maha Kumbh) में हुए हादसे के बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक जनहित याचिका दाखिल (PIL filed) की गई है। अर्जी में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि वह उत्तर प्रदेश सरकार से मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगे और जिम्मेदार अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दे। दरअसल, महाकुंभ में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर दूसरे अमृत स्नान से ठीक पहले हादसा हुआ था। इसमें 30 लोगों की दुखद मौत हो गई थी।
क्या है मामला?
दरअसल, महाकुंभ जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने के साथ नीति और नियमन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। एक वकील ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वीआईपी मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्रभावित न हो, उनके लिए कोई खतरा पैदा न हो और महाकुंभ में श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास के लिए अधिकतम स्थान उपलब्ध कराया जाए।
लापरवाही बरतने वालों पर कानूनी कार्रवाई की मांग
जनहित याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार को 29 जनवरी को महाकुंभ के दौरान हुई घटना पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने और लापरवाही बरतने वाले व्यक्तियों, अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ में मंगलवार देर रात हुए हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग से कराने का आदेश दिया था। साथ ही मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का एलान किया गया है। घटना की जानकारी साझा करते हुए सीएम योगी भावुक भी हो गए थे।
भीड़ प्रबंधन की सख्त व्यवस्था की गई
हादसे के बाद पुलिस ने देर रात से ही मेले में जाने वाले वाहनों पर रोक लगा दी थी। जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया और यातायात पुलिस ने सात आपातकालीन योजनाएं लागू कर भीड़ पर काबू पाया। इसके अनुसार ही श्रद्धालुओं को संगम की ओर जाने दिया गया। मेले के दौरान भीड़ प्रबंध को लेकर पुलिस ने 32 योजनाएं बनाई गईं। इसमें रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, शहर और सीमाओं पर आने-जाने वाली भीड़ को शामिल किया है।
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