चेन्नई । मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार (Tamilnadu Government) को राजीव गांधी हत्याकांड में (In Rajiv Gandhi Assassination) दोषी (Convicts) नलिनी और रविचंद्रन (Nalini and Ravichandran) को राज्यपाल की अनुमति के बिना (Without the Permission of the Governor) रिहा करने का निर्देश देने से (By Ordering Release) इनकार कर दिया (Refused)।
नलिनी और रविचंद्रन की याचिकाओं को खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति एन. माला की उच्च न्यायालय की पहली पीठ ने यह आदेश पारित किया है। आदेश पारित करते हुए पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उच्च न्यायालय को विशेष शक्तियां प्राप्त नहीं हैं।
नलिनी और रविचंद्रन ने उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी प्रार्थना में कहा था कि उनका राहत की मांग करना उचित है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि राज्यपाल पेरारिवलन मामले में राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिशों से बंधे हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई, 2022 को रिहा कर दिया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे राज्य सरकार को तमिलनाडु के राज्यपाल की सहमति का इंतजार किए बिना उन्हें रिहा करने का निर्देश देने की मांग कर रहे हैं।
तमिलनाडु राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए, महाधिवक्ता आर. षणमुगसुंदरम ने पहली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में राज्यपाल की शक्तियों की व्याख्या करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था कि राज्यपाल की सहमति आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के पास इस मुद्दे पर विचार करने का अधिकार है।
विशेष रूप से, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, मुरुगन की पत्नी नलिनी, संथान, रॉबर्ट पायस, जयकुमार, रविचंद्रन और पेरारिवलन 21 मई, 1991 को राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी पाए गए थे। इनमें से पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई, 2022 को रिहा कर दिया था। पेरारिवलन की रिहाई के बाद, नलिनी और रविचंद्रन ने राज्यपाल की सहमति के बिना मद्रास उच्च न्यायालय का रुख करते हुए उन्हें भी रिहा करने का आदेश जारी करने की मांग की, जिसे अदालत की पहली पीठ ने खारिज कर दिया था।
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