चेन्नई । मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने वक्फ संपत्तियों पर कानून में 2010 के संशोधन को (2010 Amendment in Law on Waqf Properties) असंवैधानिक घोषित किया (Declared Unconstitutional) । मद्रास हाईकोर्ट ने 2010 के उस संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर दिया है, जिसमें वक्फ संपत्तियों को तमिलनाडु सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत कब्जाधारियों की बेदखली) अधिनियम 1976 के दायरे में लाया गया था।
इस संशोधन ने तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को संपदा अधिकारी के रूप में अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने का आदेश देने का अधिकार दिया था। मुख्य न्यायाधीश संजय वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की मद्रास हाईकोर्ट की पीठ ने बुधवार को राज्य विधानसभा द्वारा 2010 में किए गए संशोधन को 1995 के वक्फ अधिनियम के विरुद्ध घोषित किया। गौरतलब है कि वक्फ अधिनियम 1995 एक केंद्रीय कानून है।
न्यायाधीशों ने माना कि वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वालों को केवल 2013 में केंद्रीय कानून में किए गए संशोधन के अनुसार गठित वक्फ न्यायाधिकरणों द्वारा ही बेदखल किया जा सकता है। पीठ ने राज्य सरकार की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के सीईओ को बेदखली का आदेश देने का विकल्प दिए जाने से राज्य कानून के साथ-साथ केंद्रीय कानून भी सह-अस्तित्व में रह सकता है।
पीठ ने कहा कि वक्फ अधिनियम, 1995 के मूल प्रावधान वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण या अवैध कब्जे से निपटने के लिए पर्याप्त सख्त नहीं थे। इसलिए, सच्चर समिति ने सिफारिश की कि पब्लिक परिसर (अनधिकृत कब्जेदारों की बेदखली) अधिनियम, 1971 को वक्फ संपत्तियों पर भी लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि ये संपत्तियां भी बड़े पैमाने पर जनता के लाभ के लिए थीं।
हालांकि, तमिलनाडु ने सिफारिश के बाद 2010 में संशोधन लाया, लेकिन कई अन्य राज्यों ने ऐसा नहीं किया। अतिक्रमण हटाने में पूरे देश में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए संसद ने 2013 में वक्फ अधिनियम में संशोधन किया था। 2013 के संशोधन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वक्फ संपत्तियों के अतिक्रमणकारियों को केवल केंद्रीय अधिनियम के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार ही बेदखल किया जा सकता है।
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