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    गुजरात के खाते में जा सकता है मप्र के हिस्से का पानी

  • May 28, 2022

    • बरगी व्यपवर्तन योजना. स्लीमनाबाद में टनल और नहर निर्माण में लेटलतीफी से बन रही स्थिति

    भोपाल। बरगी दांयी तट व्यपवर्तन योजना के तहत टनल निर्माण में हो रही लेटलतीफी के कारण विंध्य और नर्मदा के मिलन में संशय है। यहां के हिस्से का पानी 15 साल से कटनी के स्लीमनाबाद टनल में अटका हुआ है। िस्थति यह है कि यदि 2024 तक मप्र अपने हिस्से का 18.25 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी संचित नहीं कर पाया तो यह गुजरात के हिस्से में चला जाएगा और महाकौशल व विंध्य के करीब 1450 गांव लाभान्वित होने से वंचित रह जाएंगे। दरअसल, इंटर स्टेट रिवर वाटर डिस्प्यूट एक्ट 1956 की धारा 6 के अंतर्गत नर्मदा नदी के जल निर्धारण के लिए नर्मदा ट्रिब्यूनल बनाया गया है। ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार मप्र को 18.25 एमएएफ, गुजरात को 9 एमएएफ, राजस्थान को 0.50 और महाराष्ट्र को 0.25 एमएएफ पानी दिया गया है। आदेश में स्पष्ट है कि 12 दिसंबर 1979 से 45 वर्ष अर्थात 31 दिसंबर 2024 तक यह पानी यदि मप्र उपयोग नहीं कर पाता है तो उसके हिस्से का जल दूसरे राज्य को दे दिया जाएगा। अब समय करीब आता देख ने सरकार टनल निर्माण के काम में दिलचस्पी जरूर दिखाई है, लेकिन बाधाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।


    नर्मदा और विंध्य मिलन में तीन बाधाएं

    • सुरंग में अटका काम: बरगी नहर का अब तक 60 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है। अब इसकी राह में स्लीमनाबाद टनल बाधा है। यहां 12 किमी लंबी सुरंग बननी है, लेकिन 2011 से 2018 तक महज 4.6 किमी की खुदाई ही हो सकी थी। इसके बाद काम सुरंग में अटक कर रह गया था। प्रदेश का पानी गुजरात के हिस्से में जाता देख सरकार ने इसमें फिर दिलचस्पी दिखाई। विगत तीन-चार साल से जापान से आई महामशीन से सुरंग खुदाई का कार्य चल रहा है। हालांकि यहां लगी दो मशीनों में एक अकसर बंद रहती है। ऐसे में अभी भी 2023 तक टनल का काम पूरा होना किसी चुनौती से कम नहीं है।
    • जर्जर नहरों का मेंटीनेंस: नर्मदा जल विंध्य तक पहुंचाने के लिए स्लीमनाबाद से सतना तक मुख्य नहर का निर्माण कार्य 10 साल पहले पूर्ण कर लिया गया था। ये नहरें अब जर्जर हो चुकी हैं। बिना मरम्मत के इनमें पानी छोडऩा संभव नहीं है। ऐसे में मुख्य नहर का मेंटीनेंस भी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। उधर, सतना से रीवा पानी पहुंचाने के लिए बन रही मुख्य नहर का काम निर्माणाधीन है।
    • भू – अर्जन और मुआवजा: सहायक नहर निर्माण के लिए सतना जिले के मैहर, उचेहरा एवं नागौद तहसील के 201 गांवों की भूमि अधिग्रहीत की गई। इसमें से करीब 141 गांवों के भूस्वामियों को आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। वहीं नागौद-सतना शाखा आरडी 00 से 83 किमी तक 1452.722 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है। इसमें से महज 420.366 हैक्टेयर का ही अर्जन हो सका है। 1032.06 हैक्टेयर का अ धिग्रहण करना शेष है। जानकारों की मानें तो जमीन अ धिग्रहण और मुआवजा वितरण में समय लगेगा। ऐसे में नहर समय सीमा में बन पाएगी, यह बड़ा सवाल है।

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